कुछ ऐसा नजारा होगा गंगरेल का

 
 

पर्यटन की दृष्टि से रविशंकर जलाशय क्षेत्र में विकसित हो रहीं सुविधाएं 


धमतरी,  प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा बांध रविशंकर जलाशय न सिर्फ अगाध जलराशि के संग्रहण के लिए सुविख्यात है, अपितु इसकी प्राकृतिक सुंदरता देश-विदेश के सैलानियों को सदैव आकृष्ट करती रही है। प्रदेश की राजधानी रायपुर से समीप होने के कारण यह जलाशय पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। पिछले कुछ वर्षों से सैलानियों की तादाद में कई गुना वृद्धि हुई है, जिसके चलते बांध क्षेत्र में शासन द्वारा नवीन सुविधाएं विकसित की जा रही  हैं। एक ओर अथाह जलराशि की अप्रतिम खूबसूरती, तो दूसरी ओर श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र क्षेत्र की आराध्य देवी मां अंगारमोती का मंदिर स्वयं में धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व को समेटे हुए है।

पर्यटन को बढ़ावा देने वैकल्पिक सुविधाएं विकसित की जा रहीं:- गंगरेल बांध, जो कि रविशंकर जलाशय के नाम से विख्यात है, का निर्माण वर्ष 1978 में हुआ था। प्रारम्भिक वर्षों में यह क्षेत्र सिर्फ जलाशय में जलभराव और मां अंगारमोती मंदिर के नाम से प्रसिद्ध था। अब पर्यटन को बढ़ावा देने एवं सैलानियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिला प्रशासन के सहयोग से जल संसाधन एवं पर्यटन विभाग द्वारा नई अधोसंरचनाएं विकसित की जा रही हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के उपरांत यहां सैलानियों की आवाजाही बढ़ गई है। खास तौर पर बारिश और ठण्ड के मौसम में पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। बरदिहा लेक व्यू एरिया मंे सैकड़ों की तादाद में सैलानी जलक्रीड़ा और बोटिंग का आनंद लेते हैं। यह देश का पहला वाॅटर स्पोट्र्स वाला बांध क्षेत्र है, इससे पहले सिर्फ समुद्री किनारों में ही वाॅटर स्पोट्र्स विकसित किया जा था। बांध क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि एवं तकनीकी कारणों से विगत कुछ वर्ष पूर्व वाहनों की आवाजाही पर गंगरेल पर्यटन विकास समिति द्वारा रोक लगाई गई थी। पर्यटकों के द्वारा लबालब भरे बांध के किनारे सेल्फी लेने, खतरनाक स्टंट करने, लापरवाही बरतने जैसी घटनाएं घटित न हो, इस लिहाज से भी जलाशय प्रमुख स्थल में सैलानियों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है।


व्यू प्वाॅइंट-1 एवं 2 से लिया जाएगा नजारों का मजा:- जलराशि से परिपूर्ण बांध के नजारे को एक जगह से देखने की वैकल्पिक सुविधा हेतु जल संसाधन विभाग द्वारा व्यू प्वाॅइंट वन एवं व्यू प्वाॅइंट टू स्थापित किए जा रहे हैं। व्यू प्वाइंट वन से लबालब पानी को आसानी से देखा जा सकता है। यहां पर बोटिंग के जरिए भी जलभराव क्षेत्र के मनोरम दृश्यों का आनंद सैलानी उठा सकेंगे। इसी तरह बांध के डाउन स्ट्रीम में व्यू प्वाॅइंट-टू भी तैयार किया जा रहा है, जहां पर रेलिंग लगाई जा रही है। इस जगह से बांध के पूरी तरह भर जाने के बाद रेडियल गेट के खोले जाने का नजारा समीप से देखा जा सकेगा। सैलानियों के लिए ये सुविधाएं काफी महत्वपूर्ण साबित होंगी।


पांच एकड़ क्षेत्र में तैयार किया रहा पार्किंग स्थलः- सैलानियों की भारी संख्या में आवाजाही के साथ ही यहां वाहन पार्किंग की समस्या पैदा हो जाती है। इसे ध्यान में रखकर अंगारमोती माता मंदिर मार्ग पर दायीं ओर लगभग पांच एकड़ क्षेत्र में वृहत् पार्किंग स्थल तैयार किया जा रहा है। इसके बन जाने से यातायात की बड़ी समस्या से सैलानियों को निजात मिल सकेगी। साथ ही पुराने सीमेंट गोदाम के पास बैरियर भी लगाया जाएगा, जिसमें गाड़ियों को पार्किंग के लिए सुविधानुसार प्रवेश दिया जाएगा।
कैन्टीन सुविधाओं से भी लैस होगा जलाशय क्षेत्र:- बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए लजीज एवं विविध व्यंजनों की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से विश्रामगृह के सामने बरूआ गार्डन में कैन्टीन तैयार किया जाएगा, जहां पर भारत के विभिन्न प्रांतों के स्वादिष्ट व्यंजनांे के अलावा छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भी लुत्फ पर्यटक उठा सकेंगे।
नवीन पार्क देगा सैलानियों का भरपूर आनंद:- बांध के प्रवेश क्षेत्र में बायीं ओर रिक्त पड़े लगभग सात एकड़ के अनुपयोगी भूखण्ड क्षेत्र में जल संसाधन विभाग द्वारा नवीन पार्क तैयार किया गया है। इस पार्क में बच्चों के लिए आधुनिक झूले, कृत्रिम झरने, पुल तथा रंग-बिरंगी लाइट युक्त फव्वारे बनाए गए हैं। इसके अलावा यहां पर ट्रैकिंग, खेलकूद के लिए जगह के साथ-साथ हरी-भरी घासयुक्त लम्बे लाॅन भी तैयार किए गए हैं। रायपुर में खारून नदी के किनारे बनाए गए लक्ष्मण झूला गार्डन की तर्ज पर उससे अधिक एरिया में सुव्यवस्थित ढंग से उक्त नवीन पार्क को तैयार किया गया है।


मानव वन में औषधीय महत्व के पौधों से मिल रही जानकारी:- वन विभाग द्वारा अंगारमोती माता मंदिर के आगे मानव वन विकसित किया गया है, जहां पर आयुर्वेदिक एवं औषधीय महत्व के पौधे लगाए गए हैं। इनकी सुलभ जानकारी सैलानियों को मिलती है, साथ ही ग्रह एवं राशि के अनुरूप तैयार किए गए जोन को चित्ताकर्षक ढंग से विकसित किया गया है।
इन सबके अतिरिक्त सैलानियों के आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाने अम्बेडकर चैक से गंगरेल मार्ग का चैड़ीकरण किया जाना प्रस्तावित है, जो कि गंगरेल से खिरकीटोला होते हुए पुरूर में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-30 से जुड़ेगी। इसके अलावा गंगरेल डूबान क्षेत्र के ग्राम विश्रामपुर के पास रामटेकरी नामक जगह है, जहां पर पुरातात्विक महत्व के पाषाण अवशेष हैं। आने वाले समय में इसे भी पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की कार्ययोजना है। इस तरह पर्यटन की दृष्टि से रविशंकर जलाशय क्षेत्र में अनेक नवाचार विकसित किए जा रहे हैं, जिससे पर्यटकों को निकट भविष्य में बेहतर एवं उच्च स्तरीय सुविधाएं मिलेंगी।

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