पोषण संगोष्ठी में कुपोषण के चक्र को समन्वित प्रयास से लक्षित करने पर दिया जोर
उन्होंने कहा कि हमारी महत्वाकांक्षी नरवा, गुरवा, घुरवा, बाड़ी योजना में बाड़ी अर्थात किचन गार्डन की बात इसीलिए की है ताकि लोगों को उनके घर में ही पौष्टिक भोजन मिले और कुपोषण को दूर करने का इंतजाम घर में ही हो सके। हमने हरेली के परंपरागत त्यौहार को सार्वजनिक अवकाश देकर उसे स्थानीय व्यंजनों से जोड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान बाजार के अभाव में फल सब्जियों की खेती न छोड़ दंे, इसलिए हमने हर ब्लाक में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की भी योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि हम छत्तीसगढ़ में यूनिवर्सल स्वास्थ्य योजना लागू करने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं। किसानों को हमने कर्ज से मुक्त किया और उन्हें उपज का सही दाम भी दिया जिससे वे अपने परिवार के लिये पौष्टिक भोजन का भी इंतजाम कर सकें और उनकी आर्थिक सेहत भी सुधरे। हमने डीएमएफ को गैरजरूरी निर्माण के बजाय शिक्षा और सुपोषण से जोड़ा ।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मिड डे मील में अंडा एक बड़ी जरूरत हैं, अंडे की पौष्टिकता निर्विवाद हैं, हमने इसे छत्तीसगढ़ में प्रारंभ किया और जनता का भरपूर साथ मिला। हमने उन बच्चों के लिये भी वैकल्पिक इंतजाम किये जो अंडा नहीं खाते हैं । श्री बघेल ने कहा कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के कई आयाम हैं, अगर गैरबराबरी चुनौती हैं तो गरीबी, पौष्टिकता के ज्ञान और राजनीतिक इरादों का अभाव भी बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हम कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को अगले चरण में ले जा रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम भूख पर विजय पाएं और सुपोषित छत्तीसगढ़ का निर्माण करें और मुझे पूरा विश्वास है कि हम अपना लक्ष्य हासिल करेंगे। विज्ञान भवन में आयोजित इस संगोष्ठी में पोषण के क्षेत्र में कार्य करने वाली अनेक अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थाओं के विशेषज्ञ उपस्थित थे ।
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