मगरलोड के विश्व आदिवासी दिवस सम्मेलन में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने की शिरकत
मगरलोड, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके ने आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर जिले के मगरलोड में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जनजातीय समाज अपनी गौरवशाली भाषा, संस्कृति और परम्पराओं के संरक्षण के लिए जाने जाते हैं। वर्तमान परिदृश्य में अन्य समाजों की तुलना में आदिवासी समाज का विकास अपेक्षाकृत नहीं हो पाया है। भारत के संविधान में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करने के लिए आदिवासियों को जागरूक व शिक्षित होने की आवश्यकता है।
मगरलोड के कृषि उपज मण्डी परिसर में आयोजित सर्व आदिवासी महासम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने समाज के महान विभूतियों वीरनारायण सिंह, गुण्डाधूर, रानी दुर्गावती, बिरसा मुण्डा का स्मरण करते हुए आगे कहा कि जल, जंगल और जमीन की विरासत को संजोने वाले आदिवासी स्वभावतः सहज व भोले-भाले होते हैं। समय की मांग के अनुरूप अब उन्हें अपने अधिकार के प्रति सतर्क व सचेत होने की जरूरत है। उन्होंने झारखण्ड के राउरकेला में हुए आदिवासी आंदोलन का उदाहरण देते हुए बताया कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष के तौर पर 3000 वंचित आदिवासियों को जमीन और मुआवजा की राशि दिलाई गई थी। राज्यपाल सुश्री उइके ने अपने उद्बोधन में यह आश्वस्त किया कि समाज के लोगों को जब भी उनके सहयोग की जरूरत हो, वे बेझिझक आकर अपनी समस्याएं रख सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने आदिवासियों को विलुप्तप्राय कोलांग नृत्य का प्रदर्शन करने वाली छात्राओं के समूह को 5001 एक रूपए की नकद राशि तथा प्रशस्ति-पत्र भी प्रदान किया। साथ ही रंग तरंग नाम के कला जत्था को भी 1001 रूपए प्रोत्साहन स्वरूप भेंट किए। इसके पहले, राज्यपाल का स्वागत समाज के वरिष्ठ लोगों मोरपंख, खुमरी व साफा पहनाकर किया गया। ज्ञातव्य है कि राज्यपाल सुश्री उइके का यह छत्तीसगढ़ में प्रथम प्रवास था। आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमण्डल के विशेष आग्रह को स्वीकरते हुए मगरलोड में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में उन्होंने काफी समय में शिरकत की। इस अवसर पर राज्यपाल ने आदिवासी समाज के आराध्य देवता बूढ़ादेव् और आंगादेव की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर नन्दकुमार साय राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति आयोग, अरविंद नेताम सरक्षक सर्व आदिवासी समाज , विधायक सिहावा विधानसभा क्षेत्र व उपाध्यक्ष मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण छग डॉ . लक्ष्मी ध्रुव , प्रांताध्यक्ष गोंडवाना गोंड महासभा नवलसिंह मण्डावी , प्रांताध्यक्ष अजजा शास. सेवक विकास संघ.आरएन ध्रुव, पूर्व विधायक श्रवण मरकाम , पिंकी ध्रुव,शिवचरण नेताम , जेएल मरई , माधव सिंह ठाकुर , भूपेंद्र ध्रुव , डोमार ध्रुव, रोहित दीवान , पोखन कँवर , विश्राम सिंह , जगन्नाथ ध्रुव , अशोक ध्रुव, दूज राम मरई, ओमप्रकाश कँवर , रामलाल कँवर , हिरामन ध्रुव, सहित अन्य पदाधिकारी व समाज के लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम पश्चात पत्रकारों से चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि 9 अगस्त देश और दुनिया में विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है ।जहां पर आदिवासी परंपरा संस्कृति को संजोए हुए एक जगह एकत्रित होकर धूमधाम से इस दिवस को मनाते हैं। यहां संवैधानिक अधिकारों की चर्चा होती है ,समीक्षा होती है कि कैसे और अच्छे से न्याय मिल सके ।मैं यहां नई नई आई हूं और मैंने अपने विचार रखे हैं ।संविधान में जो उनका अधिकार है,किस तरीके से समाज को लाभ मिल सके इसका पूरा ध्यान रखूंगी। कोशिश करुंगी कि यहां की जनजाति आदिवासियों के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर सकूं ।
मध्य
क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष डॉ लक्ष्मी ध्रुव ने कहा कि
समाज यहां इकट्ठा होते हैं और अधिकारों के बारे में चर्चा करते हैं ।समाज
की स्थिति क्या है ,दशा क्या है ,क्या लाभ मिल रहा है या नहीं और सरकार
क्या क्या कर रही है। उसे सभी को अवगत कराते हैं। बाबा साहब अंबेडकर ने जो
संविधान में लिखा है उसे यदि सरकार अक्षरसःलागू करती है तो निश्चित रूप से
समाज मुख्यधारा में जुड़ेगी।
इस
अवसर पर अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नंदकुमार साय ने
कहा कि जनजातीय समाज को उनके अधिकारों के लिए जगाने का प्रयास कर रहे हैं।
जल जंगल जमीन के लिए लगातार प्रयासरत है। जनजातीय समाज में जहां-जहां
परेशानी आ रही है वहां की लड़ाई लड़ रहे हैं।
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