पवन निषादविशेष संवाददाता
मगरलोड, देशप्रेम
की भावना से ग्राम चंदना, जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ के निवासी गोवर्धन वर्मा,
भगवती वर्मा तथा पुत्र भास्कर वर्मा तीनों ने एक साथ अंधविश्वासों और बुरी
मान्यताओं को तोड़ते हुए जनकल्याण के लिए मरणोपरांत नेत्रदान और देहदान की
घोषणा की है। मरणोपरांत इन तीनों का नेत्र "जिला चिकित्सालय धमतरी" (नेत्र
विभाग) और उनका शव "पंडित जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय
रायपुर (छ. ग.)" मे भेजकर आवश्क अंगों को दूसरे के शरीर में लगाया जाएगा
तथा शरीर की रचना का अध्ययन किया जाएगा। यह
हमारे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है क्योंकि इससे शरीर की रचना को
समझने में और अधिक आसानी होगी और विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी।
साथ ही साथ विज्ञान के विद्यार्थियों को अध्ययन का अवसर प्रदान करेगा। उनका
यह कार्य अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
*अंधविश्वास
को चुनौती* : अक्सर लोगों द्वारा यह कहा जाता है कि देहदान करने वाले
अगले जन्म में अंधा, लंगड़ा आदि विकृति के साथ पैदा होते हैं।लोगों
की यह सोंच बिल्कुल गलत है ऐसे लोगों में ज्ञान का अभाव होता है। दानो मे
सबसे बड़ा दान देहदान ही है और इसी दान की घोषणा कर इन तीनों ने अंधविश्वास
को चुनौती दी है। भास्कर वर्मा ने एमटीआई न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि
मृत्यु पश्चात शरीर नश्वर हो जाता है और वह किसी काम का नहीं रह जाता तो
क्यों ना नहीं रहते हुए भी आंखों के माध्यम से देख सकते हैं और मृत्यु
उपरांत यदि किसी के काम आ जाए तो क्या बुरा है ।उनके पिता मैकेनिक का काम
करते हैं और पूरे परिवार ने यह निर्णय लिया है।
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