झूमे धरती, खुशहाल, संगीतावली,
आलोकित हो अंत: तम पुलकावली !
अभय-अमरत्व-साहस-यश पुष्पावली !
मंगलमय झिलमिल शुभ दीपावली !!
प्रेम-प्रीत-नेह के बादल बरसे,
वायु,जल,अन्न, कोई न तरसे !
चित्र आपके हों उन चरित्रों से,
अंतर्मन में...बिम्ब जो सरसे !!
तुम्हारी माटी है, दीया बन जाऊं,
ज्ञानघृत में आस बाती बन जाऊं !
विजयश्री हो हर अंधेरों से,
तेरी आभा हो सूर्य प्रहरी बन जाऊं !!
मन के आँगन एक दीया भी जले,
सत्य आसंदी एक दीया भी जले !
दीया जले न जले, दिल न जले,
दो कदम मैं और दो कदम तू भी चले !!
*डॉ. भूपेन्द्र सोनी*
सिहावा चौक, धमतरी छ. ग.
nice.. Keep it up bandhu.. Shubh deepawali
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