उत्तम साहू
बालोद। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार भगवान
कृष्ण के द्वारा सबसे पहले गोवर्धन पूजा की शुरुआत की गईं तब से यह पर्व
मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ अंचल में इस दिन गौरी-गौरा विवाह उत्सव शहर नगर
कस्बा गाँव गाँव के चौक चौराहों में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।
गौरा गौरी उत्सव मनाया गया
जिले
के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गौरा गौरी पर्व पूरे उत्साह से मनाया
गया और सोमवार को दोपहर तक विधि विधान से विसर्जित किया गया।परम्परा पूर्वक
दो पीढ़ा में गौरी(पार्वती)तथा गौरा (शिव जी) की मूर्ति बनाकर चमकीली पन्नी
से सजा धजा कर उस मूर्ति वाले पीढ़े को सिर में उठाकर बाजे गाजे के साथ
गाँव के सभी गली से घुमाते – परघाते हुए चौक चौराहे में बने गौरा चौरा की
पूजा की गई।
गांवो में हुई गोवर्धन की पूजा
सोमवार
को शाम को पारंपरिक रूप से कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना कर गोवर्धन उत्सव
मनाया गया और 56 प्रकार के भोग तथा कई प्रकार के सब्जियों को मिलाकर
संयुक्त सब्जी बनाकर भगवान को भोग लगाया गया और 56 भोग को गौ माता तथा सभी
पशु धनों को भी खिलाया गया और एक दूसरे के माथे पर गोवर्धन लगाकर दीवाली की
बधाई दी गई
गौ माता और गोवर्धन पर्वत की की महत्ता
छत्तीसगढ़
में गौ पूजन की विशेष महत्ता है। यहाँ गोवर्धन पूजा को राऊत (यदु ) जाति
का विशेष त्यौहार कहा जाता है। मूलतः राऊत अपने आपको श्रीकृष्ण जी के वंशज
मानते है । तथा इनका पोशाक भी पूरी तरह से भगवान कृष्ण जी की तरह ही पैरोँ
में घुंघरू, मोर पंख युक्त पगड़ी , तथा हाथ में लाठी रहता है।गौ पूजन के इस
त्यौहार में प्रायः सभी घरों के गायों के गले में एक विशेष प्रकार के हार (
सुहाई ) पहना कर पूजा किया जाता है। इस सुहाई को पलाश के जड़ की रस्सी व
मोरपंख को गूँथ कर बनाया जाता है।
राउत लोग गांव के
हर घर में जाकर गायों को सुहाई बांधकर दोहा गायन करके आशीष वचन बोलते हुए
बदले में घर के मुखिया राऊत को अन्न वस्त्र आदि दक्षिणा भेंट दिए।इसके बाद
गाँव के साहड़ा देव के पास गोबर से गोवर्धन बनाकर गाय बैलों के समूह को उसके
ऊपर से चलाया गया फिर इस गोबर को सभी लोग एक दूसरे के माथे पर टीका लगाकर
प्रेम से गले मिलते हुए एक दूसरे को बधाई देते हुए आशिर्वाद लिया।
मातर उत्सव की रही धूम
जिले
के ग्रामीण क्षेत्रों में मंगलवार को मातर उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ
मनाया गया।जिले के ग्राम कोहंगाटोला,नेवारीकला, टेकापार,लाटाबोड़,अरौद,
पसौद, हल्दी, बेलौदी, परना, टिकरीसहित अनेक स्थानों पर मातर उत्सव उत्साह
के साथ मनाया गया और यादव समाज के लोगों ने अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण की
पूजा अर्चना की और पारंपरिक तरीके से उत्सव मनाया।
भाई दूज का पर्व मनाया गया
नगर
सहित अंचल में मंगलवार को कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भाई दूज का पर्व
उत्साह के साथ मनाया गया ।यह त्यौहार भाई बहन के अपार प्रेम और समर्पण का
प्रतीक हैं। बहनें अपने भाई का तिलक कर उनके लम्बी आयु की कामना की
।मान्यता है जो भाई इस दिन बहन के घर पर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक
करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती।
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