7 दिनों के भूखे भगवान श्रीकृष्ण को आठ पहर का भोजन 56 भोग लगा



 

 रामलीला मैदान में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कृष्ण लीलाओं की धूम रही


धमतरी। जिस व्यक्ति को जिस कर्तव्य के लिए चुना जाता है उसे अतिरिक्त पारिश्रमिक की इच्छा नहीं करनी चाहिए, यही संदेश भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को उठाने से पहले ब्रज वासियों को देते हैं। उनका कहना होता है कि जब राजा इंद्र का काम ही वर्षा कराना है तो इसके लिए अतिरिक्त पूजा पाठ की क्या आवश्यकता है। उनकी बात मानने वाले ब्रज वासियों को जहां इंद्र का कोप सहना पड़ता है वही भगवान श्री कृष्ण के एक और रूप का दर्शन लोगों को होता है। श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन सुश्री जया किशोरी ने अपने प्रवचन के माध्यम से गोवर्धन पर्वत, छप्पन भोग और नवनीत लीला का चित्रण संगीतमय झांकियों के माध्यम से कराया।

पूतना समेत अनेक असुरों का वध करते हुए भगवान श्रीकृष्ण बाल आयु से युवावस्था तक पहुंचते हैं जैसे आज के समय में बच्चों को विभिन्न संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए माता-पिता टीका लगाते हैं उसी तरह भगवान श्री कृष्ण को आसुरी शक्तियों से बचाने के लिए माता यशोदा और नंद बाबा अनेक प्रकार के जतन करते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत भाषण में रजत जसूजा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि  यह धमतरी का सौभाग्य है कि  सनातन धर्म की  बुनियाद को मजबूत बनाए रखने राजेश शर्मा और उनके सभी यजमानों का प्रयास लगातार जारी है लेकिन इसे अनवरत चलायमान रखने के लिए आप सभी को आगे आना होगा तब जाकर ऐसे कार्यक्रम अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकेंगे। प्रवचन कर्ता सुश्री जया किशोरी ने बताया कि जब भोलेबाबा कृष्ण भगवान के बाल रूप के दर्शन के लिए लालायित थे, तो उन्हें यशोदा माता के मन से अपने भभूति रूप के डर को निकालना पड़ा। इस प्रसंग को सुश्री जया किशोरी ने "नजर लग जाए, जुलम होइ जाए, दिखाऊं कोनी लाडलो, नजर लग जाए, जैसे गीतों से इतना मनमोहक बना दिया कि लोग झूमने लगे यहां पर शिव शंभू के द्वारा बालकृष्ण के चरणों को छूना अलौकिक दृष्टांकन था जो पंडाल में बैठे करीब सात हजार और पंडाल के बाहर चारों तरफ फैले दो हजार लोगों को खूब भाया और जो जहां था वहीं थिरकने लगा। जिस तरह से बच्चों को चंद्रमा अपना मामा लगता है, उसी तरह भगवान श्री कृष्ण को भी चंदा मामा इतने पसंद आए कि यशोदा मैया को थाली में पानी रखकर चांद का दर्शन कराना पड़ा। झांकियों में भगवान श्री कृष्ण के अलग-अलग रूप धरे हुए राहुल शर्मा, रोहण शर्मा और मोक्षा गांधी ने श्रद्धालुओं को खूब रिझाया। सुश्री जया किशोरी कहती हैं कि युगों-युगों तक माता यशोदा जैसी मैया जन्म नहीं ले सकती। उन्हें अपना लाडला इतना पसंद था कि उसकी गलतियां भी उन्हें बालपन नज़र आती थी। सुश्री जया किशोरी ने बताया कि एक बार नंद का लाला माखन चुराकर आईने के सामने पहली बार अपना प्रतिबिंब देखते हैं तो वे समझते हैं कि उनके घर के माखन को चोरी करने के लिए कोई काला कलूटा बालक आया है और इसकी शिकायत माता यशोदा से करते हैं तब माता यशोदा भगवान के इस भोलेपन को माफ करते हुए बताती है कि इसे शीशा कहते हैं जिसमें तुम स्वयं नजर आ रहे हो। गर्ग ऋषि को हुए भगवान श्री कृष्ण के विराट दर्शन का वर्णन करते हुए सुश्री जया किशोरी ने बताया कि गर्ग ऋषि ने भगवान के जन्म और उनकी लीलाओं को समझा लेकिन इसका किसी से जिक्र नहीं किया क्योंकि उन्हें परम ज्ञान हो चुका था। भगवान श्री कृष्ण से जब यशोदा मैया संवाद करते हुए कहती हैं कि लल्ला तू कितना अच्छा नृत्य करता है तब भगवान श्री कृष्ण माता से कहते हैं कि वह तो तू मेरी मां है कह कर तेरे सामने नाच रहा हूं, वरना मैं दुनिया को नचाना भी जानता हूं। मोर मोरनी की जोड़ी को देखकर अपने लिए भी बहू( पत्नी) की जिद पर अड़े भगवान श्री कृष्ण को माता यशोदा पहली बार राधा के प्रति प्रेम का पल्लवन कराती है सुश्री जया किशोरी ने बताया कि पृथ्वी का प्रतीकात्मक स्वरूप है गौ माता और जब-जब पृथ्वी पर पाप बढ़ता है गौ माता की स्थिति दयनीय होती चली जाती है जैसा हम आजकल देख रहे हैं लोग अपने मन का कचरा कूड़ेदान में डाल रहे हैं जिसे भोजन समझकर गौ माता बीमार हो रही हैं जब तक प्रत्येक घरों से पहली रोटी गौ माता के लिए नहीं निकाली जाएगी तब तक माता कलयुगी उत्पीड़न सहती रहेंगी और पाप बढ़ता रहेगा। भगवान तभी पापों के नाश के लिए धरती पर आएंगे जब गौ माता की सेवा होगी और वे प्रभु को रंभा-रंभा कर पुकारेग
 
सुश्री जया किशोरी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने लगभग सभी के घरों से माखन चखा था लेकिन वहां पर रहने वाली प्रभावती ताई से सब को डर लगता था और ताई के इसी अहंकार को दूर कर उन्हें भगवान की मौजूदगी का एहसास श्री कृष्ण ने कराया था। इस वाकये में प्रभावती के घर बंधे हुए कृष्ण की जगह प्रभावती के ससुर मिलते हैं जिसके बाद प्रभावती समझ जाती है कि भगवान श्री कृष्ण कोई साधारण मनुष्य नहीं है। 56 भोग की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण से होना बताते हुए सुश्री जया किशोरी ने कहा कि जब इंद्र के क्रोध से ब्रज डूबने लगा तो भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाते हुए सबसे कहा कि अपनी अपनी गईया हांकने की लाठियों को पर्वत पर टिकाइए। उनके इस निर्देश में संदेश था कि भगवान भी तभी किसी का सहयोग करते हैं जब व्यक्ति आत्म सहयोग करता है लगातार 7 दिनों तक पर्वत को उठाए रखने की वजह से भगवान श्री कृष्ण 7 दिनों तक भूखे प्यासे रहते हैं। जिससे माता यशोदा व्याकुल हो जाती हैं और 1 दिन में आठ पहर भोजन करने वाले, माखन चखने वाले, दूध मलाई खाने वाले भगवान श्री कृष्ण को 7 गुना 8 अर्थात 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। यहीं से छप्पन भोग की परंपरा का शंखनाद हुआ है। 9 दिसंबर को श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन सुश्री जया किशोरी गोपी उद्धव संवाद, रासलीला और रुक्मणी विवाह कथा से परिचित कराएंगी। श्री रामलीला मैदान में श्रीमद् भागवत कथा सुनने आए श्रोतागणों में मुख्य रूप से राधेश्याम शर्मा, प्रेम जी भानुशाली, श्रीराम महावर, गोपाल प्रसाद शर्मा, केशव प्रसाद शर्मा, लीलाधर गांधी, पंडित राजेश शर्मा, जितेंद्र शर्मा श्रीमती आरती शर्मा, नीतू शर्मा, भूषण शार्दुल, ओम प्रकाश शर्मा, महेश शर्मा ,अशोक गुप्ता, मदन मोहन खंडेलवाल, लक्ष्मीकांता साहू, नीलम चंद्राकर, नीला कपाड़िया, महेंद्र पंडित, किरण अग्रवाल, सरोज चोपड़ा, संगीता जगताप, रामविलास अग्रवाल ,नीता अग्रवाल, राहुल अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, सुनील जैन, कविंद्र जैन, गोपीकृष्ण साहू ,दिलीप राज सोनी ,योगेश गांधी ,रजत जसूजा, देवेश अग्रवाल, चंद्रशेखर सिन्हा, जेएल सिन्हा, अर्जुन पुरी गोस्वामी,  निर्मल बरडिया ,पीयूष पांडे, डॉ केएल देवांगन ,विक्रांत शर्मा, विकास शर्मा ,प्रमोद गोयल, ललित नाहटा, विजय अग्रवाल, जानकी प्रसाद शर्मा, लक्की डागा समेत हजारों लोग उपस्थित थे।

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