धमतरी।
सुश्री जया किशोरी की यही खासियत है कि वे जब भागवत कथा सुनाती है तो
उन्हें लोगों के नाचने-गाने से उर्जा मिलती है। तभी तो जब उन्होंने कहा कि
हम तुम्हारे थे प्रभु जी, हम तुम्हारे हैं, हम तुम्हारे ही रहेंगे, ओ मेरे
प्रियतम। तो एक साथ 5000 से अधिक लोगों ने उनके शुरू को संगत दिया और ठुमक
ठुमक कर सहमति भी दी कि वास्तव में मोबाइल के हजारों संपर्क नंबरों में से
ईश्वर का नंबर ही सबसे सार्थक है। श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिवस लोगों
ने जड़ भरत, राजा दक्ष और प्रहलाद चरित्र पर संगीतमय अद्वितीय कथा का श्रवण
किया।
सुश्री जया किशोरी
ने तीसरे दिन की कथा में कहा कि हमारे दुखों का मुख्य कारण हमारे अंदर की
उम्मीद है, जो हम लोगों से लगाए रहते हैं। जबकि हमारी आशाओं को पूरा करने
वाला हमारे मोबाइल पर एक ही कांटेक्ट नंबर हो सकता है और वह है परमपिता
परमेश्वर का। सुश्री जया किशोरी जब भी कथा शुरू करती हैं आगे पाठ पीछे सपाट
ना हो, इसका पूरा ख्याल रखती है यही कारण है कि वे तमाम श्रद्धालुओं से
पिछले दिवस की कथा का शीर्षक अवश्य पूछती है। जड़ भरत की कथा बताते हुए
उन्होंने कहा कि जो लोग जड़ भरत की भलमनसाहत को उसकी मूर्खता समझते थे असल
में वे लोग ही मूर्ख थे। माता भद्रकाली की कथा सुनाते हुए बताया कि कैसे
डाकुओं के लिए बलि चढ़ते हुए जड़ भरत पर माता को दया आई और उन्होंने डाकुओं
का सर्वनाश कर दिया। भगवान कैसे अपने निरीह भक्तों पर कृपा करते हैं इसका
खुलासा करते हुए सुश्री जया किशोरी ने एक वाकया सुनाया जिसके अनुसार एक संत
से त्रुटिवश एक धोबी का कपड़ा खराब हो जाता है और वह संत को उल जलूल कुछ
भी सुनाने लगता है और जब तक भगवान उस संत की सहायता के लिए पहुंचते हैं, तो
क्रोध के वशीभूत संत को भी धोबी से लठ्ठमलठ करते पाते हैं, और बैकुंठ धाम
लौट जाते हैं। तब माता उनसे पूछती है कि उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा
क्यों नहीं की, तो वह कहते हैं कि जो स्वयं सक्षम है उनकी क्या मदद, वास्तव
में दीन हीन होते हैं उनकी पुकार पर मैं अवश्य साथ होता हूं।
भक्तों के वश
में भगवान कैसे होते हैं इसका सजीव चित्रण करते हुए सुश्री जया किशोरी की
टीम ने बताया कि कैसे एक वृद्ध माता का विश्वास लड्डू गोपाल की प्रतिमा में
भी जान डाल देता है और आज के पढ़े-लिखे डॉक्टरों को विश्वास हो जाता है कि
विज्ञान से भी बड़ा धर्म पर विश्वास होता है ।सुश्री जया किशोरी ने बताया
कि भगवान अपनी ड्यूटी बराबर निभाते हैं, जरूरत है हमें उनके इशारों को
समझने की। उन्होंने बताया कि बार-बार संतों का अवतरण और आपदाओं का विचरण
भक्तों को याद दिलाते रहता है कि जगत कल्याणकारी भगवान श्री कृष्ण लोगों को
धर्म से जोड़े रखने के लिए समय-समय पर आज भी लीला करते रहते हैं। उन्होंने
लोगों से आग्रह किया कि अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए उनको खुश रखने के
लिए बहुत सारा पैसा कमाने के लिए कोई ऐसा काम ना करें जिससे किसी को दुख
पहुंचे। यही दुख और बद्दुआ हमारे पतन का मूल कारण होता है ।नर्क के 28
प्रकार बताते हुए सुश्री जया किशोरी ने बहुत ही अच्छे प्रमाणों के साथ
विश्लेषण किया कि जिस तरह से गंदगी लगे झटकनी, पोछा कपड़ा और रसोई के तेल
से सनी चिंदी की गंदगी को दूर करने के लिए अलग अलग तरीके उपयोग में लाए
जाते हैं उसी तरह व्यक्ति के द्वारा किए गए पाप का दंड उन्हें भी उसी
प्रकार मिलता है। राजा परीक्षित और शुकदेव के बीच के संवादों में पाप करने
के बाद भी आसानी से मुक्ति का जरिया पूछे जाने पर शुकदेव ने अजामिल की कथा
सुनाते हुए बताया कि हर प्रकार बुरे कर्मों के बाद भी अपने पुत्र का नाम
नारायण रखने से उनकी मृत्यु सार्थक तब हो जाती है जब यमदूत को देख कर
अजामिल अंत समय में पुत्र के नाम में ईश्वर को पुकारता है। आज के बच्चों को
अच्छा संस्कार देने के लिए प्रेरित करते हुए सुश्री जया किशोरी ने कहा कि
अब के बच्चे छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े गलत कदम उठा लेते हैं जिससे उनको
बचाने का जिम्मा माता-पिता का होता है बच्चों के साथ मित्रवत रहे उन्हें
यह दिलासा दे कि कुछ भी हो जाए उनका विश्वास बच्चों पर हमेशा बना रहेगा।
श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन 7 दिसंबर को वामन अवतार, श्री राम
जन्मोत्सव, श्री राम कथा और श्री कृष्ण जन्मोत्सव का सजीव चित्रण सुश्री
जया किशोरी के द्वारा भक्तों के आनंद के लिए कराया जाएगा। कथा कार्यक्रम
में मुख्य रूप से गोपाल प्रसाद शर्मा, केशव प्रसाद शर्मा, पंडित राजेश
शर्मा, जितेंद्र शर्मा, डॉक्टर एनपी गुप्ता, जानकी प्रसाद शर्मा ,बजरंग
अग्रवाल, गोविंद गांधी, ओम प्रकाश शर्मा, महेश शर्मा ,लीलाधर गांधी, भूषण
शार्दुल ,दिलीप राज सोनी, लक्ष्मी नारायण साहू, पप्पू गजेंद्र, नरेश साहू,
मनोज पारख, निर्मल बरडिया, विकास शर्मा, लक्की डागा ,रजत जसूजा, राहुल
अग्रवाल, श्रीराम शर्मा, योगेश गांधी, नम्रता माला पवार, सूर्यप्रभा
चेट्टियार ,देवेश अग्रवाल श्याम अग्रवाल ,ललित नाहटा, विष्णु खंडेलवाल,
विजय गुप्ता, अनंत दीक्षित ,कमल अग्रवाल, प्रफुल्ला गांधी, छाया गांधी,
हर्षद मेहता, विक्रांत शर्मा, महावीर गोयल, समेत हजारों की संख्या में
भक्तगण पंडाल से बाहर तक कथा के साक्षी बने हुए थे।
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