विनोद गुप्ता
नगरी । प्रदेश के मुखिया ने जहाँ इक्को युरिज्म तैयार करने की घोषणा की है, उसी ग्राम जबर्रा के रहवासी दूषित पानी पीने को मजबूर है। बड़ी
विडंबना की बात है प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिस क्षेत्र का चयन
पर्यटन स्थल के लिए किये है, जिसका मास्टर प्लान भी बनकर तैयार है। ऐसे जगह
पर रह रहे अति पिछड़ी जनजाति के लोगो को ग्रीष्म ऋतु में पीने का पानी तक नसीब नही है।
जबर्रा के टिकरा पारा निवासी जगतराम
कमार, सुखराम कमार, गैन्दू कमार, रजऊ कमार, मानबाई कमार, रामकुमार यादव ने
बताया है कि रहवासी स्थल पर पानी के लिए दो बोर व एक निजी कुँआ है। अप्रेल
व मई महीने के आते-आते कुँआ सुख जाता है और दोनों बोर से लाल रंग का आयरन
युक्त पानी निकलता है। इस पानी से घर के बर्तन व स्टील गुंडी भी लाल हो गए
है। दूषित पानी के चक्कर मे लोगो के सेहत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
हम लोगो को ग्रीष्म ऋतु में पेयजल की भीषण समस्या होती है। विगत 6-7 वर्षो
से लगातार शासन-प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी आज तक हमारी मांगो पर
ध्यान नही दिया गया है। बोर में फिल्टर लगाकर पंचायत व वन विभाग द्वारा
अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है। इन लोगो ने शासन-प्रशासन से ग्रीष्म ऋतु में
शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल के लिए सोलर पंम्प लगाने की मांग की है।
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