लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ।आयुर्वेद विश्व की सबसे पुरातन चिकित्सा प्रणाली है इसका वर्णन विश्व के सबसे पुराने ग्रंथ अथर्व वेद, यजुर्वेद में भी मिलता है मात्र दवाई खाकर नहीं बढ़ाई जा सकती रोग प्रतिरोधक क्षमता यह कहना है एमआरसी आयुर्वेदा एवं रिसर्च सेंटर वृंदावन की चिकित्सक डॉक्टर तपस्या शर्मा का। और आयुर्वेद के सिद्धांतों के हिसाब से ही ऋषि-मुनियों ने हमारे जीवन जीने के लिए दैनिक दिनचर्या का वर्णन आयुर्वेद के अनुसार ही किया ।
डॉक्टर तपस्या शर्मा का कहना है आयुर्वेद में दिनचर्या को दो भागों में विभक्त किया है पहला आहार और दूसरा विहार ।
हम दैनिक दिनचर्या में कैसा आहार करें ? कौन सी सब्जी और कौन से अनाजों का आयुर्वेद के नियमों के हिसाब से कैसे उपयोग करें जिससे हमारा आहार हमारे स्वास्थ्य के लिए हितकर हो जाएं हम अपने अनाज व सब्जियों में कौन से मसालों का उपयोग करें और कौन से मसालों को उपयोग ना करें वह पूर्णता हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक संहिता आदि में वर्णित है साथ में विरुद्ध आहार का भी पूर्ण रूप से वर्णन है जिनके आपस में खाने से गंभीर बीमारियां तक उत्पन्न हो जाती है जैसे दूध और पपीते को साथ में लेने से या मछली और दूध को साथ में लेने से सफेद दाग उत्पन्न हो जाते हैं ऐसे बहुत से उदाहरण आयुर्वेद में भरे पड़े हैंl साथ में आयुर्वेद में रितुओ का ध्यान में रखते हुए केसा आहार व विहार किया जाए,विस्तार में वर्णन है कि हर भोजन हर ऋतु में सदुपयोगी भी नहीं होता जैसा कि हर देश में हर भोजन सदुपयोगी नही होता है ऋतु संधि काल में हमेशा से आयुर्वेद में अल्पाहार करने का विधान है क्योंकि ऋतु संधि काल में शरीर में पाचक अग्नि कमजोर पड़ जाती है जिससे वात,पित्त,कफ सारे दोष व धातुएँ विकृत होकर रोगों को उत्पन्न करती हैं अत: इन बुझी हुई अग्नि को प्रदीप्त करने के लिए अल्पाहार का वर्णन किया गया है इसीलिए हर रितु काल में वैदिक रीतियों में व्रत का उल्लेख सामने आते हैं इसलिए वैदिक काल से ही व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है इसका उपयोग यही था कि जब आप अल्पाहार करेंगे तो आपकी पाचन शक्ति कमजोर नहीं पड़ेगी इसको आप दूसरी तरह से समझ सकते हैं अगर आप कितना भी अच्छा व स्वास्थ्यवर्धक भोजन या रसायन लेते हैं वह आपके शरीर को जब तक पोषण नहीं देगा जब तक आपकी ज्ठराग्नि अच्छी नहीं होगी l इसका मतलब साफ है कि जो भी हम भोजन लेते हैं या कोई दवा भी लेते हैं वह हमारे शरीर पर तभी कार्य करेगी जब वह हमारी आंत्र द्वारा उसका अवशोषण नही होगा और भोजन तभी पोषण कर सकता हैं जब तक की हमारी पाचक अग्नि दीप्त न हो l
तो जब हम अल्प, हल्का और सुपाच्य भोजन करते हैं उसका हमारे शरीर में आंत्र द्वारा पूर्ण अवशोषण होता है पूर्ण पाचन होने के बाद ही स्वस्थ व पूर्णं आहार रस का निर्माण होता है यही आहार रस सप्त धातुओ जेसे रस,रक्त,मांस,मेद,अस्थि,मज्जा,शुक्र का पोषण करती हुई औज का निर्माण करती हैं और यही औज शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करता है अतः मात्र रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुवेदिक दवा आपके शरीर में तब तक पूर्णतया काम नहीं करेंगी, जब तक आप का पाचन तंत्र सही से काम ना करें l
यही अंतर है आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं आधुनिक चिकित्सा में क्योंकि आयुर्वेदिक चिकित्सा का सिद्धांत शरीर में लिये गए भोजन एवं दवाइयों के पाचन पर निर्भर हैं जबकि आधुनिक चिकित्सा मात्र सप्लीमेंट, भोजन और दवाइयों पर निर्भर करती है l
आयुर्वेद का दिनचर्या का दूसरा सिद्धांत विहार है स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन आपका क्या शेड्यूल होना चाहिए उसकी जानकारी भी डा.तपस्या शर्मा ने दी ।
शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से आप कोरोनावायरस ही नहीं अपितु सभी प्रकार की बीमारियों से लड़ने में सक्षम होते है इसलिए लॉक डाउन के नियमों का पालन करके इस बीमारी को फैलने से बचाएं एवं अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर अपने आप को स्वस्थ रखें ।
घर से बिल्कुल भी बाहर ना निकले और अगर कोरोनावायरस के कोई भी लक्षण प्रगट हो तो तुरंत नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल में दिखाएं इसके अलावा अगर किसी को भी मेरी परामर्श की आवश्यकता है तो आप व्हाट्सएप नंबर 9897546531 पर मैसेज करें सकते हैं।
तो जब हम अल्प, हल्का और सुपाच्य भोजन करते हैं उसका हमारे शरीर में आंत्र द्वारा पूर्ण अवशोषण होता है पूर्ण पाचन होने के बाद ही स्वस्थ व पूर्णं आहार रस का निर्माण होता है यही आहार रस सप्त धातुओ जेसे रस,रक्त,मांस,मेद,अस्थि,मज्जा,शुक्र का पोषण करती हुई औज का निर्माण करती हैं और यही औज शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करता है अतः मात्र रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुवेदिक दवा आपके शरीर में तब तक पूर्णतया काम नहीं करेंगी, जब तक आप का पाचन तंत्र सही से काम ना करें l
यही अंतर है आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं आधुनिक चिकित्सा में क्योंकि आयुर्वेदिक चिकित्सा का सिद्धांत शरीर में लिये गए भोजन एवं दवाइयों के पाचन पर निर्भर हैं जबकि आधुनिक चिकित्सा मात्र सप्लीमेंट, भोजन और दवाइयों पर निर्भर करती है l
आयुर्वेद का दिनचर्या का दूसरा सिद्धांत विहार है स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन आपका क्या शेड्यूल होना चाहिए उसकी जानकारी भी डा.तपस्या शर्मा ने दी ।
प्रातः 5:00 बजे उठे रात्रि 10:00 बजे तक सो जाएं .एक गिलास गुनगुना पानी सुबह एवं एक गिलास गुनगुना पानी सोते समय ले बाकी पूरे दिन ले तो और बेहतर रहेगा .सुबह का नाश्ता 8:00 बजे तक दोपहर में खाना 1:00 बजे तक रात्रि का भोजन 7:00 बजे तक कर ले गाय के दूध का इस्तेमाल करें .दूध में हल्दी व सोंठ चूर्ण डालकर ले. हफ्ते में एक दिन अल्पाहार या फलाहार करें .सुबह योग व प्राणायाम करें .चाय एवं कॉफी को छोड़कर लोंग, तुलसी,काली मिर्च, दालचीनी ,सौंठ, सोंफ, मुलेठी ,इलायची से बनी हर्बल टी उपयोग करें .सफेद नमक को छोड़कर सेंधा नमक का उपयोग करें .चीनी के स्थान पर शक्कर का उपयोग करें रिफाइंड के स्थान पर सरसों का तेल अथवा देशी गाय का घी इस्तेमाल करें कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा ऑर्गेनिक उत्पादों का ही उपयोग करें नाक में दो दो बूंद तिल का तेल डालें एक चम्मच प्रतिदिन चवनप्राश ले . प्रतिदिन नींबू पानी,नारियल पानी , मौसमी या संतरे लें . एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण दूध के साथ दिन में ले
साथ में कोरोनावायरस से बचने के लिए डॉ तपस्या ने सभी से अपील की है ।शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से आप कोरोनावायरस ही नहीं अपितु सभी प्रकार की बीमारियों से लड़ने में सक्षम होते है इसलिए लॉक डाउन के नियमों का पालन करके इस बीमारी को फैलने से बचाएं एवं अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर अपने आप को स्वस्थ रखें ।
घर से बिल्कुल भी बाहर ना निकले और अगर कोरोनावायरस के कोई भी लक्षण प्रगट हो तो तुरंत नजदीकी सरकारी हॉस्पिटल में दिखाएं इसके अलावा अगर किसी को भी मेरी परामर्श की आवश्यकता है तो आप व्हाट्सएप नंबर 9897546531 पर मैसेज करें सकते हैं।
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