उन्होंने बताया कि टिड्डियों का हमला होने पर कृषक टोली बनाकर परंपरागत उपाय जैसे ढोल, डी.जे. बजाकर अथवा डिब्बे आदि के माध्यम से शोर मचाकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग कर तेज आवाज के जरिए खेतों से भगाया जा सकता है। यदि शाम के समय टिड्डी दली का प्रकोप हो गया हो तो दल के विश्राम अवस्था में सुबह तीन से पांच बजे के बीच तुरंत क्लोरोपाइरीफाॅस 20 ई.सी. 200 एमएल या लेंब्डासायहेलोथ्रिन 5 ईसी 400 एमएल या डायफ्लूबेंजूसन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। साथ ही कीटनाशक पावडर फेनबिलरेट 0.4 प्रतिशत 20-25 किग्रा या क्यूनाॅलफास 0.5 प्रतिशत 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर का भी भुरकाव किया जा सकता है।
टिड्डियों का हमला होने पर ढोल, डी.जे. बजाकर ,डिब्बे आदि से शोर मचाकर भगाएं
उन्होंने बताया कि टिड्डियों का हमला होने पर कृषक टोली बनाकर परंपरागत उपाय जैसे ढोल, डी.जे. बजाकर अथवा डिब्बे आदि के माध्यम से शोर मचाकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग कर तेज आवाज के जरिए खेतों से भगाया जा सकता है। यदि शाम के समय टिड्डी दली का प्रकोप हो गया हो तो दल के विश्राम अवस्था में सुबह तीन से पांच बजे के बीच तुरंत क्लोरोपाइरीफाॅस 20 ई.सी. 200 एमएल या लेंब्डासायहेलोथ्रिन 5 ईसी 400 एमएल या डायफ्लूबेंजूसन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। साथ ही कीटनाशक पावडर फेनबिलरेट 0.4 प्रतिशत 20-25 किग्रा या क्यूनाॅलफास 0.5 प्रतिशत 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर का भी भुरकाव किया जा सकता है।
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