कोरोना काल
वैश्विक महामारी का दौर कोरोना काल है।
दुःखी और परेशान सबका हाल बेहाल है।।
सोच समझ से परे है सबका मन मलाल है।
जैविक बम है ये जाने किसने बुना जाल है?
इसके खिलाफ लड़ना है अब अजीब जंग।
दूर दूर रहके भी मिलके रहना है सब संग।।
लिपट गया है हर मन मे जैसे काल भुजंग।
कई लोगहुए बेघर बार और सपने हुए भंग।।
हर आदमी दहसत में है जी का जंजाल है,
आये हैं चपेट में इसके कई नर और नारी।
आफत में है जानऔर आतंक इसके भारी।।
काल के ग्रास बने हैं कई अभी भी है जारी।
देख के करामात इसके दंग है दुनिया सारी।।
देखते ही देखते यूँ गुजर जाएगा ये साल है,
क्या होगा कैसे होगा सोच कर मन उदास है?
गुजर जाएगा ये बेवक्त भी मन में विस्वास है।
बेकारी में चार माह बीत गए जैसे खर मास है।।
अब तो लगता है छोड़ेगा करके सत्यनाश है।
भुगतेगा वो भी जिसकी ये भयंकर चाल है,
वैश्विक महामारी का दौर कोरोना काल है।
दुःखी और परेशान सबका हाल बेहाल है।।
✍️ *सोहन लाल यादव,,* ✍️
दानीटोला वार्ड धमतरी
सोहन यादव |
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