नई दिल्ली। कोरोना के इलाज में कारगर दवा का दावा पतंजलिके मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आचार्य बालकृष्ण पिछले हफ्ते कर रहे थे, लेकन अब आचार्य बालकृष्ण यू-टर्न लेते हुए दिखे। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी ने कभी भी यह दावा नहीं किया कि नई बनी दवाओं से कोरोना का इलाज किया जा सकता है।
उत्तराखंड दवा नियामक संस्था को जवाब देने के बाद बालकृष्ण ने संवाददाताओं से बात करते हुए मंगलवार को कहा कि यह एक साजिश का सबूत है। एक एफआईआर में कंपनी के खिलाफ लोगों को दिगभ्रमित करने का आरोप लगाया गया। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी कंपनी की तरफ से दवा बनाने के दावे पर लगाई कई याचिका को लेकर केन्द्र को नोटिस जारी किया है। बालकृष्ण ने कहा कि कंपनी ने कभी भी यह दावा नहीं किया कि उसने कोरोना के इलाज की दवा बनाई है।उन्होंने कहा, हमने कोरोनिल के एक एक आयुर्वेद दवा के तौर पर इम्युनिटी बढ़ाने, बुखार, कफ और एलर्जी की समस्या के लिए बताया था। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कंपनी ने सिर्फ यह इशारा किया था कि क्लिनिकल ट्रायल में यह पता चला है कि जब कोविड-19 के मरीज को दवा दी गई तो वे ठीक हुए।इससे पहले, कोरोनिल दवाई के निर्माण पर जारी नोटिस के जवाब में योगगुरू बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने कहा है कि कंपनी ने इस प्रक्रिया में किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। कंपनी ने 'कोरोना किट' नामक किसी भी दवा का उत्पादन करने और उसे घातक वायरस के खिलाफ उपचार के रूप में प्रचारित करने से भी इनकार किया है ।कंपनी ने कहा कि उसने केवल दिव्य श्वासरी वटी, दिव्य कोरोनिल टैबलेट और दिव्य अणुतेल नाम की दवाइयों को एक पैकेजिंग कार्टन में पैक किया था ताकि उन्हें आसानी से बाहर भेजा जा सके। नोटिस के जवाब में फर्म ने यह भी कहा है कि उसने कोरोना किट नामक किसी भी किट को व्यावसायिक रूप से नहीं बेचा है और न ही इसे कोरोना के खिलाफ उपचार के रूप में प्रचारित किया है।योग गुरु की कंपनी ने कहा, “हमने मीडिया के समक्ष दवा के सफल परीक्षण को केवल प्रमोट किया है।” जवाब में यह भी कहा गया है कि नोटिस मीडिया द्वारा तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का परिणाम था। जवाब में इस बात पर जोर दिया गया है कि उसने किसी नियम या कानून का उल्लंघन नहीं किया और इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता।उत्तराखंड आयुर्वेदिक विभाग ने कहा कि वह पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की एक शाखा दिव्य फार्मेसी द्वारा भेजे गए इस उत्तर का अध्ययन कर रहा है। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विभाग के लाइसेंसिंग अधिकारी वाई एस रावत ने बताया कि सोमवार को जवाब मिलने के बाद एक औषधि निरीक्षक को कंपनी में भौतिक सत्यापन के लिए भेजा गया जहां उसे कोई कोरोना किट नहीं मिली।यह पूछे जाने पर कि क्या वह जवाब से संतुष्ट हैं, रावत ने कहा, “हर किसी ने योग गुरु को उत्पाद को कोरोना के लिए इलाज के रूप में दावा करते देखा है और उत्तर की अभी और जांच करने की आवश्यकता है।” पिछले मंगलवार 23 जून को बाबा रामदेव ने कोरोनिल नामक दवा लांच की थी जिस पर उत्तराखंड आयुष विभाग ने पतंजलि को नोटिस जारी करते हुए उनसे इस संबंध में जवाब मांगा था ।
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