ब्रायोनिया अल्बा, जेल्सेमियम, फाॅस्फोरस तथा कैम्फोराका भी किया जा सकता है उपयोग
केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् की 65वीं बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा
इन्दौर।
कोविड पाॅजिटिव मरीजों को होम्योपैथी दवा दिये जाने तथा प्रोफाइलेक्टिक
(रोग निरोधी) दी जा रही आर्सेनिक अल्बम नामक होम्योपैथी दवा के परिणामों
खुराक तथा कितने बार दिया जाना चाहिए इत्यादि को लेकर वैज्ञानिक सलाहकार
बोर्ड की 65वीं बैठक सम्पन्न हुई । वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा वैज्ञानिक
सलाहकार बोर्ड की 65वीं मीटिंग आमंत्रित की गई जिसमें देशभर के प्रमुख
होम्योपैथिक चिकित्सकों, सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों तथा
केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद् के डायरेक्टर जनरल एवं
अनुसन्धानकर्ताओं के साथ बैठक आयोजित की गई।
बैठक
में बताया गया कि कोविड संक्रमण के दौरान प्रारम्भिक दौर में होम्योपैथिक
दवाईयाँ कोविड पाॅजिटिव मरीजों को नहीं दी जा रही थी लेकिन अप्रैल के आखिरी
सप्ताह से लेकर पूरे मई माह में देश के विभिन्न राज्यों में होम्योपैथिक
दवाईयाँ पाॅजिटिव मरीजों को दी गई जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले। बैठक
में यह बताया गया कि आर्सेनिक अल्बम नामक होम्योपैथिक दवा का चयन चीन के
वुहान शहर में फैले कोरोना मरीजों के लक्षणों के आधार पर किया गया था,
परन्तु जब हमारे देश में कोविड के मरीज पाये गये और उनके लक्षणों का अध्ययन
किया गया तो आर्सेनिक अल्बम के साथ-साथ ब्रायोनिया अल्बा, जेल्सेमियम,
फास्फोरस तथा कैम्फोरा इत्यादि दवाईयों को भी अनुसन्धान परिषद् द्वारा
अध्ययन पश्चात् विचार कर ट्रीटमेन्ट प्रोटोकाॅल में शामिल किया गया।
इन्दौर से वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये बैठक में सम्मिलित हुये वैज्ञानिक
सलाहकार बोर्ड के सदस्य डाॅ. ए.के. द्विवेदी ने इन्दौर में कम हुये कोविड
पाॅजिटिव मरीजों की संख्या में आयुष चिकित्सा पद्धतियों की भूमिका के बारे
में बोर्ड के सदस्यों को अवगत कराया। पूरे देश से लगभग 842 प्रपोजल आयुष
मन्त्रालय को कोविड पर रिसर्च के लिये प्राप्त हुये थे, जिनमें से 9
प्रपोजल्स को स्वीकृति प्रदान करते हुये अनुसन्धान परिषद् द्वारा आर्थिक
सहायता भी दी जा रही है।
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