धमतरी। परम
पूज्य मंगलमूर्ति आचार्य सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज के 134 वें
प्राकट्य वर्ष के अंतर्गत आयोजित 40 दिवसीय जन्मोत्सव का उमंगमय 32 वां
दिन भक्ति भाव से भरपूर हो प्रभु को भवसागर से पार कराने हेतु विनय करते
हुए मनाया।धमतरी में निवासरत सिन्धी समाज के समस्त
गुरु-भक्तगण एवं प्रभु स्नेही प्रेमियों के परिवारों ने अपने अपने घरों मे
प्रतिदिन की भाँति स्वामी टेऊँराम चालीसा पाठ के दौरान कल यह भजन बड़े ही
सुमधुर राग में प्रभु परमात्मा में अटूट विश्वास के साथ दीन भाव से अभिभूत
हो प्रभु से भव सागर से पार कराने की चाह को लेकर विनम्र विनय करते हुए
गाया ।
प्रभु अपनी कृपा धारो, मुझको भवसागर से तारो! मैं हूँ जैसा तैसा तेरा ,प्रभु मुझको नाहीं बिसारो!!
उक्त
भजन पूज्य आचार्य श्री जी के द्वारा स्वरचित सद्ग्रन्थ *प्रेम प्रकाश
ग्रंथ में पृष्ठ क्रमांक 269 राग पीला भजन 77* पर अंकित है।
इस
भजन में प्रभु परमात्मा से अत्यंत ही दीनतापूर्वक प्रार्थना की गई है कि -
हे प्रभु मैं भला हूँ चाहे बुरा हूँ जैसा भी हूँ तेरा ही हूँ व आपकी ही
शरण में आया हूँ कृपया आप अपना बिरद सम्भारें याने चूंकि आप पतितपावनकर्ता
,तारणहार,लाजराखनहार, उद्धारकर्ता इत्यादि विशेषताअों से परिपूर्ण
भक्त-वत्सल स्वरुप है अतः आप अपने उस स्वरूप का भान करते हुए मुझे इस
दुस्तर माया-जाल से मेरी बाँह पकड़ बाहर निकाल लीजिये एवं काम, क्रोध ,
मोह अहंकार के तापों से बचाकर ,लोभ को संतोष में बदल मुझे संसार सागर से
पार कर दीजिये ; संसार के सभी रिश्ते- नाते स्वार्थ पर ही आधारित है । हे
नाथ ! बिना स्वार्थ व मतलब के केवल आप ही एक दीन-दयालु हैं, कृपया मेरे मन
को निर्मल बनाकर मुझे सुमति का दान दीजिये ; मैंने अभी तक अपने जीवन में
कोइ भी दान-धर्म-कर्म-तीर्थ-नेम-व्रत इत्यादि शुभ कर्म कुछ भी नहीं किये
है *हे गोबिंद ! मैं केवल आपका ही आश्रय लेकर आपकी ही शरण में आया हूँ ,आप
मुझ पर दया करें, कृपया मेरे द्वारा हुए सभी पापों एवं संसार में व्याप्त
तीनों तापों का परिहार कर मुझे संसार सागर के आवागमन के चक्कर से छूटाकर
केवल ही केवल अपने श्री चरणों का ध्यान दे मुक्ति प्रदान कीजिये।
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