आरती गुप्ता
नगरी।प्रबंध
संचालक अमिताभ बाजपाई के निर्देशन में धमतरी जिला यूनियन के 26 समितियों
में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 25 प्रजाति के लघु वनोपज का संग्रहण किया जा
रहा है।
जबर्रा समिति प्रबंधक सुखराम नेताम, अमाली
जीवन सेन, निर्राबेड़ा हुलास सोन की माने तो वनवासियों तथा ग्रामीणों के हित
को ध्यान में रखते हुए स्व सहायता समूहों के द्वारा ग्राम स्तर, हाट बाजार
एवं वन धन केंद्र स्तर पर वनोपज का संग्रहण हो रहा है वनवासियों को उनकी
उपज का वाजिब दाम दिलाने में महिला स्व सहायता समूह अहम भूमिका निभा रही
है। संग्राहको ने इन समितियों में हर्रा, बेहडा, इमली फूल, इमली बीज, कुसमी
लाख, रंगीनी लाख, नागरमोथ, धवाई फूल, शहद, बेलगूदा सहित अन्य प्रकार के
लघु वनोपज का विक्रय किया है। प्रचार-प्रसार के चलते लोग जागरूक हुए है और
शासन के द्वारा तय किये गए मूल्य पर वनोपज विक्रय कर रहे है वर्तमान में
साल बीज संग्रहण जारी है जिसकी समितियों में भारी मात्रा में आवक हो रही
है।
आगे बताया कि समिति के अध्यक्ष, प्रबंधक, पोषक
अधिकारी, फड़ अभिरक्षक एवं महिला स्व सहायता के सदस्यों के द्वारा किया गया
व्यापक प्रचार-प्रसार धरातल पर असरदार हुआ है। समितियों द्वारा समर्थन
मूल्य पर खरीदी होने से संग्राहकों को उनकी मेहनत का भरपूर फायदा मिला है।
संग्राहक बिचौलियों को दरकिनार कर महिला स्व सहायता समूह के पास साल बीज
सहित अन्य वनोपज का विक्रय बड़ी तादात में कर रहे है।
ग्राम
मुकुंदपुर के संग्राहक माधुरी, अनिता, संगीता, सरिता, बसंता, रतनी, आसीन
बाई, पूना राम ने बताया कि स्व सहायता समूह नगद भुगतान पर 20 रु. के दर से
साल बीज की खरीदी कर रहे हैं जिससे हमको अधिक मुनाफा मिल रहा है जबकि
बिचौलिए औने पौने दाम पर सालबीज क्रय कर रहे है। शासन की योजना की इन्होंने
सराहना की है।
उपप्रबन्ध संचालक एफआर कोसरिया ने कहा-
मुख्यमंत्री
श्री बघेल की मंशा के अनुरूप प्रदेश में लघु वनोपजों के संग्रहण,
प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से वनवासी ग्रामीणों को आजीविका से जोड़ने के
लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वर्ष 2015
से वर्ष 2018 तक मात्र 7 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही थी।
वर्तमान में सरकार द्वारा वनवासी ग्रामीणों के हित को ध्यान में रखते हुए
खरीदी जाने वाली लघु वनोपजो की संख्या बढ़ाकर 25 कर दी गई है। इसके पहले
खरीदी की जाने वाली 22 लघु वनोपजों में साल बीज, हर्रा, ईमली बीज सहित,
चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, काल मेघ, बहेड़ा,
नागरमोथा, कुल्लूगोंद, पुवाड़, बेलगुदा, शहद तथा फूल झाड़ू, महुआ फूल (सूखा),
जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धवई फूल (सूखा), करंज बीज, बायबडिंग और आंवला
(बीज रहित) की खरीदी की जा रही थी। अब इनमें फूल ईमली, भेलवा एवं गिलोय की
भी खरीदी की जाएगी। व्यापक प्रचार-प्रसार के चलते लोगो का रुझान स्व
सहायता समूहों की ओर बढ़ रहा है संग्राहक विभिन्न प्रकार के वनोपज का विक्रय
बड़ी तादात में संग्रहण स्थल में कर रहे है। वनक्षेत्रों में राज्य सरकार
द्वारा रोजगार बढ़ाने का प्रयास किया गया है समर्थन मूल्य पर खरीदी और नगद
भुगतान की प्रक्रिया से वनवासियों को काफी राहत मिली है। अब तक 164 समूहों
के माध्यम से 6566.22 क्विटल वनोपज का संग्रहण 4767 संग्राहकों द्वारा किया
जा चुका है।
एक टिप्पणी भेजें