बाड़ी में कुंआ निर्माण कर साग-सब्जी की खेती को बनाया अतिरिक्त आय का जरिया
बीजापुर । वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण लाॅक डाउन के दौरान जहां एक ओर लोगों को जीविकोपार्जन के लिए संकट का सामना करना पड़ रहा था, इस विषम परिस्थिति में जिले के ग्रामीण ईलाकों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से बड़ी तादाद में ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिला इसके साथ ही तालाब, डबरी, कुंआ जैसे हितग्राहीमूलक स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ।
इस संकट की घड़ी में जिले के बीजापुर ब्लाॅक अंतर्गत ग्राम बोरजे निवासी निर्धन किसान नारायण रमेश ने मनरेगा के जरिये अपने बाड़ी में कुंआ निर्माण कर जहां अपने परिवार को रोजगार सुलभ कराया, अपितु स्वंय के लिए कूप जैसी बहुउद्देशीय स्थायी परिसंपत्ति के सपने को भी साकार कर लिया इसके बाद नारायण रमेश ने अपने घर बाड़ी के करीब एक एकड़ रकबे में साग सब्जी की खेती कर लाॅक डाउन के दौरान अतिरिक्त आय अर्जित कियाअभी हाल ही में नारायण रमेश से उसके खेत पर भेंट होने पर उसने बताया कि गांव के रोजगार सहायक से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत से निर्धन किसानों के भूमि में कुंआ डबरी निर्माण संबंधी जानकारी मिली। इसके साथ ही जाॅब कार्डधारी परिवार को रोजगार मिलने की बात भी बतायी। इससे प्रभावित होकर वह अपने घर बाड़ी में कुंआ निर्माण करने की सोचा और वर्ष 2018 में जमीन का नक्शा खसरा सहित प्रकरण ग्राम पंचायत में प्रस्तुत किया। जिसके आधार पर वित्तीय वर्ष 2018 19 में जिला पंचायत बीजापुर के द्वारा कुंआ निर्माण की स्वीकृति दी गयी।
श्री नारायण रमेश बताते हैं कि कुंआ निर्माण की स्वीकृति तो मिल गई थी लेकिन कुंआ निर्माण की खुदाई किस तरह किया जाये यह समस्या थी, चूंकि मैंने पहले कुंआ खुदाई का कार्य पहले कभी नहीं किया था। इस कार्य में मुझे तकनीकी पहलुओं को समझाने के लिए तकनीकी सहायक श्रीमती कुसुम भास्कर ने सहयोग प्रदान की। जिसके बाद मैंने कुंआ खुदाई का काम शुरू किया। कोरोना महामारी के कारण लाॅक डाउन की स्थिति में इस कार्य में मुझे आर्थिक रूप से बहुत मदद की। लाॅकडाउन दौरान मुझे 28 दिवस की रोजी जिसमें मुझे कुल 4928 रूपए कुएं निर्माण से प्राप्त हुई। इस पैसे को मैंने घर की जरूरतों पर खर्च करने के अलावा कुछ बचाकर भी रखा। कुंआ खुदाई करते समय मात्र 22 फीट में ही पानी आ गया था। इसलिए मैंने पानी को देखते हुये पहले ही कुएं में पम्प लगाकर बाड़ी में मिर्ची, टमाटर और बैगन का बीज बो दिया था। लाॅक डाउन के दौरान मेरे द्वारा लगाई गई सब्जी भी मुझे आर्थिक रूप से मदद की। पूरे संकट काल में मेरी बाड़ी में लगी सब्जियां घर में खाने के काम आया। जिसके कारण मुझे बाहर सब्जी खरीदने की कम जरूरत पड़ी साथ ही गांव में प्रतिदिन 50 से 100 की आमदनी सब्जी बेचकर हुई। नारायण रमेश ने मनरेगा योजना को निर्धन किसानों के लिए वरदान निरूपित करते हुए बताया कि अभी बारिश में वह अपनी बाड़ी में बैंगन, मिर्च, लौकी, बरबट्टी, ग्वारफल्ली लगाया है। जिससे सितम्बर-अक्टूबर मे उत्पादन मिलेगी और घर-परिवार में उपयोग के साथ ही बेचने पर अतिरिक्त आमदनी भी होगी।वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण लाॅक डाउन के दौरान जहां एक ओर लोगों को जीविकोपार्जन के लिए संकट का सामना करना पड़ रहा था, इस विषम परिस्थिति में जिले के ग्रामीण ईलाकों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से बड़ी तादाद में ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिला। इसके साथ ही तालाब, डबरी, कुंआ जैसे हितग्राहीमूलक स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ। इस संकट की घड़ी में जिले के बीजापुर ब्लाॅक अंतर्गत ग्राम बोरजे निवासी निर्धन किसान नारायण रमेश ने मनरेगा के जरिये अपने बाड़ी में कुंआ निर्माण कर जहां अपने परिवार को रोजगार सुलभ कराया, अपितु स्वंय के लिए कूप जैसी बहुउद्देशीय स्थायी परिसंपत्ति के सपने को भी साकार कर लिया। इसके बाद नारायण रमेश ने अपने घर बाड़ी के करीब एक एकड़ रकबे में साग-सब्जी की खेती कर लाॅक डाउन के दौरान अतिरिक्त आय अर्जित किया। अभी हाल ही में नारायण रमेश से उसके खेत पर भेंट होने पर उसने बताया कि गांव के रोजगार सहायक से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत से निर्धन किसानों के भूमि में कुंआ-डबरी निर्माण संबंधी जानकारी मिली। इसके साथ ही जाॅब कार्डधारी परिवार को रोजगार मिलने की बात भी बतायी। इससे प्रभावित होकर वह अपने घर बाड़ी में कुंआ निर्माण करने की सोचा और वर्ष 2018 में जमीन का नक्शा खसरा सहित प्रकरण ग्राम पंचायत में प्रस्तुत किया। जिसके आधार पर वित्तीय वर्ष 2018-19 में जिला पंचायत बीजापुर के द्वारा कुंआ निर्माण की स्वीकृति दी गयी।
श्री नारायण रमेश बताते हैं कि कुंआ निर्माण की स्वीकृति तो मिल गई थी लेकिन कुंआ निर्माण की खुदाई किस तरह किया जाये यह समस्या थी, चूंकि मैंने पहले कुंआ खुदाई का कार्य पहले कभी नहीं किया था। इस कार्य में मुझे तकनीकी पहलुओं को समझाने के लिए तकनीकी सहायक श्रीमती कुसुम भास्कर ने सहयोग प्रदान की। जिसके बाद मैंने कुंआ खुदाई का काम शुरू किया। कोरोना महामारी के कारण लाॅक डाउन की स्थिति में इस कार्य में मुझे आर्थिक रूप से बहुत मदद की। लाॅकडाउन दौरान मुझे 28 दिवस की रोजी जिसमें मुझे कुल 4928 रूपए कुएं निर्माण से प्राप्त हुई। इस पैसे को मैंने घर की जरूरतों पर खर्च करने के अलावा कुछ बचाकर भी रखा। कुंआ खुदाई करते समय मात्र 22 फीट में ही पानी आ गया था। इसलिए मैंने पानी को देखते हुये पहले ही कुएं में पम्प लगाकर बाड़ी में मिर्ची, टमाटर और बैगन का बीज बो दिया था। लाॅक डाउन के दौरान मेरे द्वारा लगाई गई सब्जी भी मुझे आर्थिक रूप से मदद की। पूरे संकट काल में मेरी बाड़ी में लगी सब्जियां घर में खाने के काम आया। जिसके कारण मुझे बाहर सब्जी खरीदने की कम जरूरत पड़ी साथ ही गांव में प्रतिदिन 50 से 100 की आमदनी सब्जी बेचकर हुई। नारायण रमेश ने मनरेगा योजना को निर्धन किसानों के लिए वरदान निरूपित करते हुए बताया कि अभी बारिश में वह अपनी बाड़ी में बैंगन, मिर्च, लौकी, बरबट्टी, ग्वारफल्ली लगाया है। जिससे सितम्बर-अक्टूबर मे उत्पादन मिलेगी और घर-परिवार में उपयोग के साथ ही बेचने पर अतिरिक्त आमदनी भी होगी।
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