रायपुर 11 सितंबर 2020। ’निकलो ना बेनकाब ,जमाना खराब है’। मशहूर गायक पंकज उधास ने जब यह गज़ल गाई होगी और शायर नून मीम राशिद ने जब लिखी होगी,तब शायद ही सोचा होगा कि साल 2020 में ये लाइनें कितनी सही लगेंगी और इसे न्यू नार्मल कहा जाएगा।
अब वास्तव में यही सोच कर सबको नकाब पहन कर निकलना होगा कि हवा खराब है और मास्क पहन कर हम - आप सब इससे बच सकते हैं। इतिहास पर यदि गौर करें कि कितनी भी भयंकर आपदा आई हों , इंसान के सामने उसने हार नही मानी, झुका है पर टूटा नहीं।
अब जब हमारे पास बुद्धि की, संसाधनों की कमी नहीं है, नई टेक्नीक से आम जनता तक भी सामान्य और गूढ़ ज्ञान एक क्लिक से पहुंच रहा है , तब हमें कोरोना जैसे एक छोटे से शब्द से घबराना नही, बल्कि उसका डट कर मुकाबला करना है ताकि आने वाली पीढ़ियों को बता सकें कि हम इसमें भी कामयाब हुए और वह भी स्व विवेक से तीन - चार सरल तरीकों को अपना कर -
अब जब हमारे पास बुद्धि की, संसाधनों की कमी नहीं है, नई टेक्नीक से आम जनता तक भी सामान्य और गूढ़ ज्ञान एक क्लिक से पहुंच रहा है , तब हमें कोरोना जैसे एक छोटे से शब्द से घबराना नही, बल्कि उसका डट कर मुकाबला करना है ताकि आने वाली पीढ़ियों को बता सकें कि हम इसमें भी कामयाब हुए और वह भी स्व विवेक से तीन - चार सरल तरीकों को अपना कर -
1 मास्क को मुंह और नाक में अच्छे से लगाकर, ना कि गले में लटका कर ।
2 लोगों से 2 मीटर की दूरी बनाकर मतलब भीड़ में न जाकर ।
3 साबुन से बार-बार 20 सेंकड तक हाथ धोकर।
4 सार्वजनिक जगहों पर गंदगी न फैलाकर।
अनेक शोधों में भी यह बात सामने आई है कि वास्तव में इन तरीकों से हम कोरोना से बच सकते हैं। एशिया के अनेक देशों में मास्क पहनने का प्रचलन काफी पहले से है। जापान, कोरिया आदि में जुकाम से बचने के लिए लोग पहले से मास्क लगाते रहे हैं। यह उनकी संस्कृति का भी हिस्सा है। इतिहास के कुछ बुरे दौर जैसे फ्लू,प्रदूषण ने भी उन्हे बहुत कुछ सिखाया है।
अब यह दौर भी हमें बहुत कुछ सीखा रहा है कि बिना मिले भी हमारा आपस का प्यार कम नही होगा, संचार की ढेर सुविधाएं जो हैैं।
आज सबसे अधिक जरूरत है ,मास्क को अपने जीवन का हिस्सा बनाने की ,वरना किस्संे- कहानियों, तस्वीरों में ही रह जाएंगे हम।
बस फिलहाल यही कहना है ’रूख से ज़रा नकाब न उठाओ मेरे हुजूर’
वरना यही कहना पड़ेगा कि
’राशिद तुम आ गए हो ना आखिर फरेब में
कहते न थे जनाब, जमाना खराब है।’
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