समर्थ भारत का सपना नई शिक्षा नीति सेहोगा साकार · डॉ. मोहन यादव
भोपाल : गुरूवार, सितम्बर 10, 2020, 18:26 IST
भोपाल।
भारतीय शिक्षा के मूल में संस्कार,अन्तर्निहित शक्तियों का विकास, कौशल विकास तथा नैतिकता के भाव निहित हैं, इस प्रकारशिक्षा का उद्देश्य मनुष्य का सर्वांगीण विकास करना होता है।भारतीय शिक्षा के भाव में सनातनकाल से मानवता के महान आदर्श,मूल्य और सार्वभौमिकता की उच्च कोटि की भावना विद्यमान रही है। आज़ादी के बाद देश में सामाजिक न्याय स्थापित करने के उद्देश्य में व्यापक सफलता न मिल पाने का मूल कारण शिक्षा प्रणाली को लेकर भटकाव तथा दीर्घकालीन और व्यापक योजनाओं का अभाव रहा है।
आज़ादी के बाद से ही हमारे देश में ऐसी शिक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही थी जिससे हमारी भावी पीढ़ी विज्ञान के साथ भारतीय आदर्शों और मूल्यों से भी जुड़े। यह विश्वास किया जाता है कि जो लोग एक वर्ष का सोचते हैं, वह अनाज बोते हैं, जो दस वर्ष का सोचते हैं, वो फलों के वृक्ष बोते हैं, लेकिन जो पीढ़ियों का सोचते हैं वो इंसान बोते हैं। मतलब उसको शिक्षित करना,संस्कारित करना तथा उसके जीवन को तैयार करना। नई शिक्षा नीति एक व्यापक उत्कृष्ट योजना है जो समर्थ भारत के निर्माण की व्यापक संभावनाएं जगाती है।
आज़ादी के आठवें दशक में हम प्रवेश कर चुके हैं और इस समय देश के सामने असंख्य चुनौतियां है। नई शिक्षा नीति ऐसी चुनौतियों को खत्म कर समर्थ भारत बनाने की ऐसी परिकल्पना है,जिसे हम सब मिलकर साकार कर सकते हैं। 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी, इसके 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की गई है। शिक्षा देश की सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इसकी जरूरत को देखते हुए जीडीपी का छह फ़ीसदी शिक्षा में लगाने का लक्ष्य रखा गया है जो फ़िलहाल अपेक्षाकृत कम है। अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
नई शिक्षा नीति बाल अवस्था से ही नैतिक,शारीरिक और बौद्धिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। इसके साथ ही देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करते हुए देश की एकता और अखंडता को भी मजबूत करती है। इसमें पाँचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है। इसका प्रमुख उद्देश्य बालपन से ही भारतीयता के मूल स्वभाव के अनुरूप विद्यार्थी का आचरण और व्यवहार की शिक्षा देना है जिससे उनमें ज्ञान के साथ सामाजिकता का यथोचित विकास होने की संभावनाएं बलवती हो। देश में सौ फीसदी उच्च शिक्षित समाज के लक्ष्य पर काम करने के लिए इस बात की जरूरत है कि स्कूल से ड्रॉप आउट को खत्म किया जाये। नई शिक्षा नीति में 2030 तक माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फ़ॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है। अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा। इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। संख्यात्मक दृष्टि से बुनियादी योग्यता पर ज़ोर दिया जाएगा,इसमें 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करने की व्यापक योजना है। स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं,पाठ्येतरगतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच अंतर नहीं किए जाने पर जोर दिया गया है,जिससे विद्यार्थी ज्ञान के साथ कौशल विकास की ओर प्रवृत हो सकें।
देश में सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए समावेशी विकास की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में सामाजिक और आर्थिक नज़रिए से वंचित समूहों की शिक्षा पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा। शिक्षकों को उच्च गुणवत्ता के अनुसार प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय प्रोफ़ेशनल मानक साल 2022 तक विकसित किया जाएगा।
प्रत्येक माता पिता का सपना होता है कि उनके बच्चों को उच्च शिक्षा मिले और नई शिक्षा नीति इसका मार्ग प्रशस्त करती है। उच्च शिक्षा के लिए वर्ष 2035 तक 50 फ़ीसदी तक पंजीयन का लक्ष्य है जबकि फ़िलहाल यह महज 26.3 प्रतिशत ही है। इसके लिए उच्च शिक्षा में साढ़े तीन करोड़ नई सीटें बढाई जाएगी। इसे व्यापक,रचनात्मक और बहुआयामी बनाया गया है। नई शिक्षा नीति में छात्रों को ये आज़ादी भी होगी कि अगर वो कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाख़िला लेना चाहें तो वो पहले कोर्स से एक ख़ास निश्चित समय तक ब्रेक ले सकते हैं और दूसरे कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। शोध को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं। जो छात्र शोध करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। शोध करने के लिए और पूरी उच्च शिक्षा में एक मज़बूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा।
शिक्षा समर्थ व्यक्ति,समर्थ समाज और समर्थ राष्ट्र बनाती है। बेहतर शिक्षा से स्वर्णिम भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृतसंकल्पित है और इस दिशा में लगातार कार्य कर रही है। हमारे प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में देश सभी क्षेत्रों में प्रगति के सोपान छू रहा है और हम सब नई शिक्षा नीति से समर्थ भारत का सपना साकार करने के लिए कृतसंकल्पित होकर आगे बढ़ रहे हैं।
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