मुकेश कश्यप
कुरुद।नगर सहित अंचल में देवउठनी एकादशी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी के अवसर पर मनाए जाने वाले इस पर्व के अवसर पर लोगो ने अपने घरों में तुलसी माता की विशेष पूजा अर्चना करते हुए उसके विवाह की पारंपरिक विविधता को पूरा किया,ततपश्चात आपस मे त्यौहार की बधाई देते हुए पर्व की खुशियां बांटी।
परम्पराओ के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि चतुर्मास की निद्रा से जागते हैं, इसीलिए इस एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन से ही हिन्दू धर्म में शुभ कार्य जैसे विवाह आदि शुरू हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम का देवी तुलसी से विवाह होने की परंपरा भी है. माना जाता है कि जो भक्त देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है. वहीं एकादशी व्रत को लेकर मान्यता है कि साल के सभी 24 एकादशी व्रत करने पर लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस बार कुरुद सहित ग्रामीण अंचलों में यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया,इस अवसर एक बार फिर चारो तरफ फटाखो की गूंज से वातावरण में मोहकता का रंग चढ़ गया साथ ही आपसी प्रेम भाव और अपनापन ने त्यौहार की खुशी में चार-चांद लगा दिया।
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