पढ़ई तुंहर पारा के तहत बच्चों को आॅफलाइन शिक्षा मुहैय्या कराने प्रशासन के साथ ग्रामीण भी हैं संजीदा
धमतरी 24 नवंबर 2020। कोविड-19 के संक्रमण के चलते वर्तमान शिक्षा सत्र में विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान न होने पाए, इसके लिये छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा पढ़ई तुंहर दुवार कार्यक्रम चलाकर बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। जिले में इसका क्रियान्वयन भी बेहतर ढंग से हुआ, किंतु यहां के डूबान जैसे क्षेत्र में ऑनलाइन क्लास संभव नहीं है, जहां पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या तो रहती ही है, साथ ही इस आदिवासी बाहुल्य इलाके के ग्रामीणों के पास एंड्रॉइड मोबाइल की उपलब्धता व डेटा व्यय का अतिरिक्त भार उठाने की क्षमता पालकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में उनके लिए आॅफलाइन शिक्षा के तहत पढ़ई तुंहर पारा काफी कारगर साबित हो रहा है। डूबान क्षेत्र के शिक्षकों के साथ-साथ पालकगण भी अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए बच्चों में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं, जो अनुकरणीय है। यहां तक कि ग्राम की सरपंच भी बच्चों को शिक्षित करने में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर रही हैं, वहीं कुछ ऐसे पालक भी हैं जो अपनी रोजी-मजदूरी को छोड़कर बच्चों को पढ़ाने के लिए समय निकाल रहे हैं।
यहां के जागरूक
पालक भी प्रत्येक बच्चे के पीछे हर माह कुछ निश्चित राशि वाॅलिंटियर्स को
मुहैया करा रहे। परंतु जब धान कटाई, मिंजाई का समय आया तो वालिंटियर्स
पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में गांव के सभी पालकों ने मीटिंग
लेकर प्रत्येक दिन बारी-बारी से क्लास लेने का निर्णय लिया। इस तरह बच्चों
को आॅफलाइन पढ़ाने का सिलसिला निर्बाध रूप से जारी रहा। गांव के हर पालकों
की पढ़ाने की ड्यूटी लगाई गई।
ऐसा ही एक वाकया के बारे में स्कूल की
शिक्षक अमृता साहू ने बताया कि एक पालक किशुन सेवता की पढ़ाने
की बारी थी, पर किसी कारणवश वे नहीं आ पाए। फिर उनकी जगह सरोज नेताम नामक
महिला पढ़ाने आई और बच्चों से कहा- ‘तुमन ल पढ़ाय बर में हर अपन रोजी-मजूरी ल
छोड़ के आए हों...! और वह उस दिन पूरे समय तक विद्यार्थियों की आॅफलाइन
क्लास लीं।
इस उदाहरण ने यह सिद्ध कर दिया कि जीवन-यापन के लिए रोजी-मजदूरी करने वाले पालक भी अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर कितने संजीदा व समर्पित हैं। कहने को तो कोड़ेगांव (आर) बहुत छोटा सा गांव है, लेकिन पढ़ाई को लेकर यहां के पालक जागरूक और अपने कर्तव्य के प्रति सजग हैं। यहां तक कि गांव की सरपंच ललिता विश्वकर्मा ने भी अपने बच्चे को शासकीय स्कूल में ही पढा रही हैं और वे भी अपनी बारी आने पर क्लास लेने जाती हैं। बच्चे भी मास्क पहनकर व सामाजिक दूरी के नियमों का पालन पूरी तल्लीनता व तन्मयता से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
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