धमतरी/कुरुद। जिले में गौरा गौरी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है ।कुरुद में कई स्थानों में गौरी-गौरा की प्रतिमाए स्थापित की गई थी।नगर के विभिन्न गौरा चौक में शनिवार की मध्यरात्रि में विधि-विधान पूर्वक गौरी-गौरा की मनमोहक प्रतिमाओं की स्थापना की गई ।रविवार की सुबह से दोपहर तक लोगो द्वारा पूजन के बाद इनका विसर्जन किया गया।नगर के लोग पूरे उत्साह के साथ गौरा-गौरी पूजन में अपनी आस्था प्रकट कर रहे है।छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गड़वा बाज़ा की धुन पर मधुर गीत गाते श्रद्धालु विसर्जन के लिए तालाब पहुंचे।
छत्तीसगढ़ में दीपावली के पर्व पर गौरी-गौरा पूजन का विशेष महत्व है।रोशनी के पर्व दीपावली में पांच दिवसों में लक्ष्मी पूजन की मध्य रात्रि में गौरी-गौरा के स्थापना होने और अगले दिन गोवर्धन पूजन के दिन दोपहर में इसका विसर्जन किया जाता है।धनतेरस के दिन से ही गौरी-गौरा जगाने,मिट्टी से उसका निर्माण करने और साज-श्रृंगार करके विधि-विधान से उसकी स्थापना एवं पूजन वंदन का विशेष महत्व हमारे प्रदेश में रहा है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में दीपावली की रात गौरा-गौरी विवाह की परंपरा रही है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इसे प्रमुख तौर पर जनजातियों व उनकी उपजातियों द्वारा मनाया जाता है। लेकिन अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में सभी जातियों के लोग इस पर्व को मनाते हैं। चार दिनों तक विवाह की विभिन्न रस्मों को विधि-विधान के साथ पूरा किया जाता है।चतुर्दशी के दिन जाते हैं चूलमाटी लेने गौरा-गौरी विवाह की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है। चौदस के दिन सुबह चूलमाटी समेत अन्य रस्म होती है। दीपावली के दिन गौरा व गौरी की प्रतिमाओं के साथ विवाह की रस्में होती हैं।गोवर्धन पूजा के दिन गौरा व गौरी की प्रतिमा का तालाबों व नदियों में विसर्जन किया जाता है।
बताया गया कि तालाब से लाई जाती मिट्टी को चूलमाटी के नाम से जाना जाता है। इसी मिट्टी से प्रतिमाएं बनाई जाती है। प्रतिमाओं की स्थापना करके शिव-पार्वती का ब्याह कराने की परंपरा निभाई जाती है। रातभर भजन-कीर्तन व गीत गाए जाते हैं। अगले दिन गोवर्धन पूजा के बाद गाजे-बाजे के साथ प्रतिमाओं को नदी-तालाब में विसर्जित किया जाता है।पूरी रात जश्न मनाने के बाद अगले दिन गड़वा बाज़ा बजाते हुए जसगीत गाते हुए प्रतिमा को तालाब में विसर्जित किया जाता है।छत्तीसगढ़ में गौरा गौरी उत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस प्रकार कुरूद नगर सहित अंचल में पूरे हर्षोल्लास के साथ गौरी-गौरा उत्सव मनाया जा रहा है।
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