नगरी।आज से तीन चार माह पूर्व नगर के दन्तेश्वरी मंदिर प्रांगण में नगर के सभी व्यापारियों ने एकजुट होकर व्यापारियों के हित की दृष्टिकोण से एक संगठन तैयार किया था। पदाधिकारी चयन के साथ ही यह निर्णय लिया गया था कि सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को नगर में समाहित सभी दुकान बंद रखी जायेगी, जो अब ध्वस्त होने की कगार पर है। केवल और केवल कुछ माह के अंतराल में ही इस संगठन की कमर टूट गई है। जब से संगठन बनाया गया है तब से ही हर मंगलवार को विवाद की स्थिति बनती रही है। ऐसा कोई भी मंगलवार नही रहा जिसमे किसी न किसी व्यापारी द्वारा इसका विरोध करते देखा न गया हो।मजे की बात तो यह रही कि कुछ दुकानदारों में आज भी दिग्भ्रमित की स्थिति बनी हुई है। संगठन बनाते वक्त यह तय किया गया था कि दुकान खोलने या दुकान से छुप-छुपाकर सामग्री बेचते पकड़े जानेेके पर दुकानदार से पांच हजार रुपये अर्थ दंड वसूला जाएगा पर ऐसी स्थिति कभी निर्मित ही नही हुुुई। अलग-अलग व्यवसायी इस संगठन से परे हट कर अपने हिसाब से अपनी यूनियन बनाना चाहा और अपनी दुकान अपने हिसाब से बंद कर रहे है।
पान दुकान के व्यवसायी दुकालू राम देवांगन से इस बारे में जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि आज तक मैं किसी भी संगठन के मीटिंग में नही गया हूं पर पान दुकान का अपना अलग संगठन बनाया गया है जिसमे यह निर्णय हुआ है कि प्रत्येक रविवार को नगर की 6 पान दुकानें खुली रहेगी बाकी नगर के अंदर की जितनी दुकान है पूर्णतः बंद रहेगी। मौसमी होटल के संचालक मनीष कश्यप से जानकारी लेने पर उनका भी कुछ इसी प्रकार का कहना है उनकी दुकान नगर के गेरेज लाईन में है, और इस लाईन के दुकानदार शुक्रवार को अपनी दुकानें बंद रखते है। मनीष का कहना है कि अगर मंगलवार को दुकान बंद करता हु तो मुझे आर्थिक क्षति होती है क्योंकि शुक्रवार को यह लाईन बंद रहती है, इस दिन मेरी दुकान में ग्राहक कम आते है इसलिए मैं भी इन्ही का साथ देते शुक्रवार को दुकान बंद रखूंगा।
15 दिसम्बर मंगलवार को दुकानदारों में संशय की स्थिति निर्मित रही व्यापारी एक दूसरे की मुह ताकते रहे। कई दुकानदार धीरे धीरे अपनी प्रतिष्ठान खोल लिए तो कई दुकानदार अर्थदंड की डर से दुकान नही खोले। अब जिस प्रकार की स्थिति बन रही है उससे यह प्रतीत होता है, नगर में व्यापारिक संगठन का कोई आधार नही बचा है आगामी मंगलवार को सभी दुकानदार अपनी दुकान खोल सकते है।
फिरहाल नगर में तीन से चार अलग-अलग संगठन बन गए है और वो अपने-अपने हिसाब से दुकान बंद करना चाह रहे है। कुछ संगठन के लोग मंगलवार बंद की परंपरा का निर्वहन करना चाहते है और कुछ दुकानदार तो पहले से ही मंगलवार को दुकान बंद करते चले आ रहे है। यहां यह कहना लाजमी होगा कि नगर का व्यापारिक संगठन की स्थिति भी मिलीजुली सरकार जैसी हो गई है।
एक टिप्पणी भेजें