रायपुर। अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा पंचतत्व में विलिन हो गए हैं। उनका अंतिम संस्कार दुर्ग के शिवनाथ नदी के किनारे बने मुक्तिधाम में किया गया। इस दौरान उनके अरविंद के भाई और मोतीलाल वोरा के छोटे बेटे दुर्ग से विधायक अरुण वोरा समेत परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। उनके बेटे ने मुखाग्नि दी। इस दौरान परिजनों एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ताओं ने भी अपने मार्गदर्शक को नम आंखों से अंतिम विदाई दी।अंत्येष्टि में गांधी परिवार से कोई शामिल नहीं हुआ। हालांकि सोनिया गांधी ने अपने प्रतिनिधी के रूप में मुकुल वासनिक और हरीश रावत को भेजा।
मुक्तिधाम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूरा मंत्रिमंडल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत, महाराष्ट्र के मुकुल वासनिक, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे समेत कई कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे।
विधानसभा में स्व मोतीलाल वोरा को दी गई श्रद्धांजलि
छत्तीसगढ़ विधानसभा मेंअविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व मोतीलाल वोरा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी ने श्री मोतीलाल वोरा के निधन की सदन में सूचना दी। उन्होंने कहा कि मोतीलाल वोरा अविभाजित मध्यप्रदेश में विधायक, दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री और संगठन में भी विभिन्न पदों की जिम्मेदारी संभाली। उनका पूरा जीवन आदर्शाें और सिद्धांतों के प्रति समर्पित रहा। उनके निधन से न केवल छत्तीसगढ़ को बल्कि देश को बड़ी क्षति हुई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्व मोतीलाल वोरा अजातशत्रु थे। उनकी लगन, परिश्रम, निष्ठा और नेतृत्व के प्रति समर्पण अद्वितीय था। श्री बघेल ने कहा कि एक दिन पहले ही उन्होंने श्री वोरा को जन्म दिन की बधाई दी थी। तब सोचा भी नहीं था कि वे इतनी जल्दी हमसे विदा हो जाएंगे। वे कोरोना से लड़ाई जीतकर आ गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमने होश संभाला उन्हें काम करते देखा। उनकी सहजता, सरलता और मिलनसारता जो प्रारंभ में थी, वैसी ही अंतिम समय तक रही। उन्होंने पत्रकारिता से शुरूआत कर पार्षद, विधायक, मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश के राज्यपाल, सांसद और केन्द्रीय मंत्री पद का दायित्व संभाला। वे सुबह से देर रात तक ताजगी के साथ कार्य करते थे। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि श्री वोरा दिल्ली में छत्तीसगढ़ की पहचान थे। एक सामान्य परिवार से निकलकर उन्होंने राष्ट्रीय क्षितिज पर कार्य किया। अनेक महत्वपूर्ण पदों के दायित्वों का निर्वहन किया। वे निर्विवाद रहे। कांग्रेस के वे अभिभावक तो थे ही उनका पक्ष-विपक्ष में भी बड़ा सम्मान था।
संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि स्वर्गीय श्री वोरा समाजवादी चिंतक थे। उनका जाना राजनीतिक क्षेत्र के लिए बड़ा नुकसान है। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि श्री वोरा सार्वजनिक जीवन के मूल्यों को सीखने की पाठशाला जैसे थे। मैंने भी उनसे बहुत सी बातें सीखने की कोशिश की। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंह देव ने कहा कि मोतीलाल वोरा के निधन से हमने एक बहुत बड़े व्यक्तित्व को खो दिया है। उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि उनके निधन से पूरा छत्तीसगढ़, पूरा बस्तर और देश दुखी है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि विपक्षी दलों के सर्वाेच्च नेता भी वोरा जी का बड़ा सम्मान करते थे। वे सभी दलों में लोकप्रिय थे। वे हम सबके के लिए अभिभावक और पितातुल्य थे।
धरमजीत सिंह ने कहा कि सभी दलों के लोग वोरा जी का आदर करते थे। वे पूरी ईमानदारी, निष्पक्षता और निष्ठा के साथ काम करने वाले व्यक्ति थे। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि वोरा जी के निधन से जो क्षति हुई है, उसकी पूर्ति नहीं हो सकती। वे धीर गंभीर थे, तो उनमें दृढ़ता भी थी। हमारी इस पीढ़ी ने उनसे बहुत कुछ सीखा। धनेन्द्र साहू ने कहा कि वोरा जी ने लम्बे समय तक राजनीति की। यह मेरा सौभाग्य रहा कि उनका स्नेह और विश्वास मुझे हासिल हुआ। अजय चंद्राकर ने कहा कि वोरा जी ने जमीन से उठकर सर्वाेच्च नेताओं के साथ काम किया। वे आदर्श मूल्यों को जीवंत करने वाले अजातशत्रु थे।
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