दुर्ग।गुजराती समाज दुर्ग संभाग द्वारा प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी पतंग महोत्सव का भ व्य आयोजन किया गया। आयोजन में गुजराती समाज के सभी वरिष्ठजन एवं सदस्यों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए व मास्क एवं सेनेटाइजर का उपयोग करते हुए पतंग उड़ाकर पूरे हर्षोल्लास के साथ एक दूसरे का मुंह मीठा किया और उत्सव में भाग लिया।
इस भव्य आयोजन में दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल, दुर्ग विधायक अरुण वोरा, धरसींवा के पूर्व विधायक और सर्व गुजराती समाज छत्तीसगढ़ के संरक्षक देवजी भाई पटेल, दुर्ग महापौर धीरज बाकलीवाल, सर्व गुजराती समाज छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतेश गांधी एवं गुजराती समाज दुर्ग के अध्यक्ष रजनी भाई दवे, समाज के वरिष्ठगण एवं सदसिजन उपस्थित थे।
मकर संक्रांति के अवसर पर भी कुछ परंपराओं का पालन किया जाता है। लेकिन इन परंपराओं और मान्यताओं के बीच एक चीज जो पूरे त्योहार में आकर्षण का केन्द्र बनकर सामने आती है, वह है पतंग उड़ाना। इस मौके पर न सिर्फ हर उम्र के लोग पूरे जोश और मस्ती से पतंग उड़ाते हैं। गुजराती समाज दुर्ग संभाग द्वारा बीएसपी हायर सेकेंड्री स्कूल ग्राउंड सेक्टर 7 में 10 जनवरी को पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया। गुजराती समाज दुर्ग संभाग के अध्यक्ष रजनी भाई दवे ने बताया की प्रतिवर्ष इस भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें समाज के सभी सदस्य बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और इस उत्सव का आनंद लेते हैं।
पतंग उत्सव में शामिल होने आए धरसींवा के पूर्व विधायक और सर्व गुजराती समाज छत्तीसगढ़ के संरक्षक देवजी भाई पटेल ने कहा कि इस प्रकार के सामाजिक आयोजन अत्यंत ही आवश्यक है। समाज के सभी सदस्यों को एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाने व अन्य सामाजिक बंधुओं को भी सामाजिक समरसता का सन्देश देने में इस प्रकार के महोत्सव अत्यन ही अहम भूमिका निभाते हैं।
मकर-संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। समाज को एक नई दिशा व एकजुटता के धागे में समेटे रखने के लिए इस तरह के आयोजन सराहनीय है जिसके लिए मैं गुजराती समाज दुर्ग संभाग के अध्यक्ष रजनी भाई दवे व आयोजन समिति के सभी सदस्यों के साथ ही सभी समाजजनों को बधाई देता हूँ।
इस अवसर पर सर्व गुजराती समाज छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतेश गांधी ने कहा कि मकर सक्रांति के पर्व को बेहद पुण्य पर्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस पर्व से ही शुभ कार्यों की शुरूआत होती है क्योंकि मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तर की ओर गमन करने लगता है। ऐसे में शुभता की शुरूआत का जश्न मनाने के लिए पतंग का सहारा लिया जाता है। वैसे भी पतंग को शुभता, आजादी व खुशी का प्रतीक माना जाता है। इसी तरह, घर में शुभता के आगमन की खुशी में मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की प्रथा है।
प्रीतेश गांधी ने कहा कि मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। गुजरात में होने वाले पतंग महोत्सव पूरे विश्व में प्रसिद्द है। यह अपने आप में एक भारतीय संस्कृति व सामाजिक समरसता की एक परम्परा है जो सभी समाज में एकता का सन्देश देता है। इसके साथ ही पतंग उड़ाना सेहत के लिए लाभकारी भी होता है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायण का महत्व बताते हुए गीता के श्लोक 24-25 में कहा है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता, ऐसे लोग ब्रह्म को प्राप्त हैं। इस सफल आयोजन के लिए मैं गुजराती समाज दुर्ग संभाग के अध्यक्ष रजनी भाई दवे व आयोजन समिति के सभी सदस्यों के साथ ही सभी समाजजनों को बधाई देता हूँ।
इस अवसर पर महेंद्र राजपुरिया प्रदेश सह सचिव सर्व गुजराती समाज छत्तीसगढ़, संजय राठौड़, कांति मानेक, भावना टंक प्रदेश सहसचिव सर्व गुजराती समाज, प्रकाश पटेल, बंटी पटेल कोषाध्यक्ष सर्व गुजराती समाज छत्तीसगढ़, गोविन्द पटेल, दीपकभाई पटेल, शिवांगी पोमल , शीतल सरवैया, राजेश भाई राजा, ज्योतिबेन दवे, दीपक भाई चावड़ा, नीताबेन पटेल सहित गुजराती समाज के वरिष्ठजन, समाज के सदस्यगण उपस्थित थे।
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