रायपुर। टीकाकरण में आरक्षण की बात पर दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए में उच्च न्यायालय के युगल पीठ एतराज़ जताते हुए कहा कि टीकाकरण में इस तरह का भेदभाव जायज नहीं। वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस सुनवाई में न्यायधीशों ने सरकार को निर्देशित करते हुए दो दिन के अंदर टीकाकरण पर नीति बनाने के आदेश दिए।
बता दे की राज्य में 18 से 44 आयु वर्ग वालों का टीकाकरण 1 मई से प्रारंभ हुआ है। लेकिन टीके की कमी के कारण राज्य सरकार ने निर्णय लिया की पहले अंत्योदय श्रेणी वालों का टीकाकरण कराया जाएगा, फिर बीपीएल और फिर इसके बाद अन्य वर्ग का। इस बात पर विपक्षी दलों ने सरकार के फैसले की निंदा की थी।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य शासन द्वारा टीकाकरण में आरक्षण लागू करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर इसे हस्तक्षेप याचिका मानकर सुनवाई करने का आग्रह किया। टीकाकरण में आरक्षण को लेकर अलग-अलग पांच से अधिक हस्तक्षेप याचिकाएं भी दायर हुई है। जिस पर मंगलवार को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश पीआर रामचंद्र मेनन एवं न्यायधीश पीपी साहू की युगल पीठ ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुनवाई की।
हस्तक्षेप याचिकाककर्ता किशोर भादुड़ी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने टीकाकरण को लेकर शासन द्वारा आरक्षण लागू किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी टीकाकरण को लेकर प्राथमिकताएं तय की है। लेकिन, उसमें आरक्षण जैसी स्थिति नहीं है। शासन ने प्रदेश की जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। याचिकाकर्ताओं ने शासन के इस आदेश को तत्काल निरस्त करने एवं नई नीति बनाने की मांग की।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने शासन का पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने शासन को दो दिन के भीतर टीकाकरण को लेकर स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टीकाकरण को लेकर लागू किए गए आरक्षण पर एतराज जताया है। करीब दो घंटे तक हाई कोर्ट में इस प्रकरण में आनलाइन बहस चली। इस मामले में हाई कोर्ट का अधिकारिक आदेश शाम तक जारी हो सकता है। याचिका में अमित जोगी सहित अन्य हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं की तरफ से अनुमेश श्रीवास्तव, सुमित सिंह पतलाश तिवारी, हिमांशु चौबे ने पक्ष रखा।
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