इंदौर।कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के केस बढ़ने से देश का स्वास्थ्य महकमा काफी सतर्क हो गया है और आम लोगों को जागरूक करने में जुट गया है। इसी क्रम में देश के जाने-माने होम्योपैथिक
चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी ब्लैक फंगस के बारे में विस्तार से बताया है। इन्दौर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डाॅ. एके. द्विवेदी ने ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि यह स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर अटैक नहीं कर पाता है परंतु जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उन्हें यह अपना शिकार बनाता है।
ब्लैक फंगस/म्युकर मायकोसिस का रोकथाम एवं इलाज होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा भी किया जा सकेगा। ब्लैक फंगस जिस तरह से एक अन्य बड़ी महामारी का रूप लेता जा रहा है, इसके रोकथाम तथा इलाज के लिये आयुष मंत्रालय द्वारा विस्तृत चिकित्सा का प्रारूप जारी किया है। जिस तरह से ब्लैक फंगस/म्युकर मायकोसिस के मरीज परेशान हो रहे हैं और उन्हें Injections भी नसीब नहीं हो पा रहा है, ऐसे में होम्योपैथिक दवाई काफी कारगर साबित हो सकती है। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि, आयुष मन्त्रालय द्वारा इस ट्रीटमेंट प्लान में इन्दौर के होम्योपैथिक चिकित्सक डाॅ. ए.के. द्विवेदी जी को भी सम्मिलित किया है।
डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, होम्योपैथिक चिकित्सा लक्षण के आधार पर की जाने वाली चिकित्सा प्रणाली है। शुरुआती लक्षण जैसे तीव्र शिर दर्द, चेहरे का दर्द, धुँधला पन इत्यादि के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा काफी प्रभावी है।
डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, म्युकर मायकोसिस, ब्लैक फंगस के साथ-साथ एक वर्ष में कोविड के बाद या कोविड के कारण लोगों में कार्डियक अरेस्ट, जौण्डिस, लीवर एबस्केस, अक्यूट रेनल फेल्यूर, जी.ई.आर.डी., हाइटस हर्निया, हेमराॅइडिस, इंटरस्टियल लंग डिजीज, पल्मोनरी फाइब्रोसिस, पैरालिसिस, आई.टी.पी., एंजाॅइटी, डिप्रेषन, पेषाब सम्बन्धी या अन्य बीमारियाँ/परेषानियाँ हो सकती है। ब्लैक फंगस /म्यूकोर माइकोसिस का मरीज डरा व घबराया हुआ है। ब्लैक फंगस रोग के संक्रमण को देखते हुए राज्य शासन द्वारा भी समय समय पर दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं जिनके जरिये रोगी में ब्लैक फंगस संक्रमण की पहचान की जा सकती है और साथ में यह भी बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस होने पर रोगी को क्या करना चाहिये।
ब्लैक फंगस संक्रमण के सामान्य लक्षणों में तेज सिरदर्द, चेहरे, दाँतों, आँखों में दर्द, नाक से काला द्रव या खून की पपड़ी निकलना, नाक का बंद होना, आँखों के आसपास सूजन आना, धुँधला दिखना, आँखे लाल होना, आँखों की रोशनी जाना, आँख खोलने और बन्द करने में परेशानी महसूस करना, चेहरा सुन्न हो जाना, चेहरे में झुरझुरी महसूस करना, मुँह खोलने या किसी चीज को चबाने में परेशानी होना आदि हो सकता है। ब्लैक फंगस के लक्षण जाँचने के लिए लगातार अपने चेहरे का निरीक्षण करते रहें और देखते रहें कि चेहरे पर कोई सूजन (खासकर नाक, आँख या गाल पर) तो नहीं है या फिर किसी भाग को छूने पर दर्द हो रहा हो। इसके अलावा अगर दाँत गिर रहे हों या मुँह के अंदर सूजन तथा काला भाग दिखे तो सतर्क रहें।
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