वतन जायसवाल
रायपुर। "बसपन का प्यार" गा कर प्रसिद्ध हुआ सुकमा का बालक सहदेव दिरदो अब इतालवी गाना गा कर अपना जलवा बिखेर रहा है। बड़ी मासूमियत और मुस्कान के साथ "बेला सियाओ" गाते हुए उसका वीडियो वायरल हुआ है।
सहदेव दिरदो के नाम से अब भला कौन परिचित नही होगा। एक समय था जब उसे केवल उसके गांव के लोग ही जानते थे। पर अब देश का हर व्यक्ति उसको पहचानता है। "बसपन का प्यार" गीत हर किसी की जुबां पर चढ़ गया है। पर अब सहदेव का एक और गीत वायरल हुआ है। लंबा सा सफेद टी शर्ट पहना सहदेव देव इतालवी गाना उ ना मा तिना, मि सन स्वेगलितो बेला सियाओ, बेला सियाओ गाते नजर आया। इस वीडियो के आने के बाद लोग उसकी प्रशंसा करते नही थक रहे। दरअसल हाल ही में रिलीज़ हुई वेब सीरीज मनी हाइस्ट या मनी हीस्ट में यह इतालवी गीत लिया गया है। जो युवाओं को काफी पसंद आया है।
आखिर क्या कहानी है इस गीत की
यह गाना मनी हीस्ट सीरीज के केंद्र में है। सीरीज का मुख्य किरदार प्रोफेसर यानि अल्वारो मोर्टे सीरीज में अपनी टीम को अपने दादा के बारे में बताता है और कहता है कि उन्होंने 1940 और 1950 के बीच इटली में नाजियों से लड़ाई लड़ी थी। दरअसल प्रोफेसर की ये लाइन इस गाने को लेकर बड़ा हिंटदेती है कि ये गाना कहां से आया!
ये गाना ग्रामीण इटली में लोक गीत के तौर पर गाया जाता था और मोदीना (Modine) की दुर्दशा के बारे में बाताता था। मोदीना इटैलियन शब्द है जिसका मतलब चावल निकालने वाला (Rice-weeder) होता है। इटली की पो बेसिन नदी (Po River Basin) के किनारे लेट नाइन्टीज में इन चावल निकालने वालों की हालत बहुत खराब थी. (Po के चारों ओर की विशाल घाटी को Po बेसिन या Po Valley कहा जाता है।
ये लोग इटली में पूर्व-औद्योगिक युग में गरीबी और कठिन श्रम परिस्थितियों के प्रतीक थे। हालांकि इस बारे में किसी को कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि ये गाना किसने लिखा था। लेकिन उस दशक में इसके लिरिक्स कुछ और तरह से गाए जाते थे। कुछ दशकों बाद इटली में मुसोलिनी का फासीवादी राज्य लोगों के जीवन पर हावी हो गया और जिसके बाद इटली में एक नए प्रतिरोध आंदोलन (Resistance movements) का जन्म हुआ। इस आंदोलन के ही साथ ‘बेल्ला चाओ’ भी नए तरीके से विकसित हुआ। पहले ये गाना गरीबों का था जो अपनी दुर्दशा के बारे में इसके जरिए बताते थे। लेकिन समय के साथ फासीवाद और उसके आधिपत्य के खिलाफ लड़ाई को दर्शाने के लिए इसके शब्दों (लिरिक्स) में बदलाव आया। अब ये गाना ‘el partizano’ की बात करने लगा। एल पार्तीजानो एक फासीवाद-विरोधी मिलिशिया यानी युवा सैनिकों की एक फौज थी जो छिप-छिपकर प्रदर्शनों में हिस्सा लेती थी।
बेल्ला चाओ इटली में अचानक उन लोगों की नब्ज गया जो बदलाव और आजादी के लिए फाइट कर रहे थे। यही नहीं आगे चलकर ये गाना विश्व युद्ध 2 के बाद इटली की ब्रांडिंग के लिए भी इस्तेमाल हुआ जब इटली ने नाजियों के साथ अपने सहयोग को भूलाकर आगे बढ़ने की कोशिश की। लेकिन समय के साथ ये गाना लगातार विकसित होता गया।
यूरोप में मौजूद अनेकों दिग्गज फुटबॉल क्लब्स के लिए एंथम बन गया। अनेकों म्यूजीशियन्स ने इसे अपने-अपने तरीकों से ढाला और कंपोज किया। दुनिया के मोस्ट आइकॉनिक म्यूजीशियन्स में से एक टॉम वेट्स ने इसे बेहद ही खूबसूरत तरीके से तैयार किया जो कि यूट्यूब पर काफी वायरल हुआ लेकिन यहां हम Steve Aoki को कैसे भूल सकते हैं। लंबी जुल्फो वाले इस म्यूजीशियन्स का बेला चाओ सुनकर जोश आ जाता है। हालांकि इन सबके वाबजूद इस गाने में अभी भी विद्रोह और अवज्ञा की वो झलक बाकी है जो कभी इटली की नदी के किनारे उन चावल निकालने वालों ने इसमें भरी थी।
ग्रीस में जब 2015 में लेफ्ट विंग सिरिजा पार्टी (Syriza Party) ने सत्ता हासिल की थी तब लाखों समर्थकों ने सड़कों पर निकलकर इस गाने के साथ जश्न मनाया था। इसके अलावा बार्सीलोना में कैटलन इंडिपेंडेंस प्रोटेस्ट के दौरान भी इस गाने को हजारों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन के तौर पर इस्तेमाल किया था। इस साल फ्रांस में हुए येलो वेस्ट मूवमेंट (yellow vest movement) में भी ये गाना प्रदर्शनकारियों के लिए प्रदर्शन करने का एक तरीका था।
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