प्रेम मुझे है एक समान

 

गीत संग्रह शब्द गाते हैं पर हुई समीक्षा गोष्ठी


धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति की कवयित्री कामिनी कौशिक की गीत संग्रह ‘‘शब्द गाते हैं’’ की पुस्तक समीक्षा गोष्ठी सार्थक स्कूल धमतरी में हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि  सुरजीत नवदीप की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। समीक्षा गोष्ठी का शुभारंभ ’’शब्द गाते हैं’’ की कवयित्री कामिनी कौशिक द्वारा प्रतिनिधि रचनाओं के पठन से हुआ। प्रेम मुझे है एक समान, ऊंच-नीच का नहीं है ज्ञान स्वार्थ के सारे जड़ मिटाकर फैलाता सब में सद्ज्ञान चलो हम पौधे रोपें चलो हम पौधे लगायें। जीवन में खुशियां बिखेरने तुम सब के लिए आया हूं । मुझे प्यार से पास रखो तुम,  प्यार का पैगाम में लाया हूं चलो हम पौधे रोपें चलो हम पौधे लगायें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुरजीत नवदीप ने कहा कि-’’शब्द गाते हैं’’ कवयित्री  कामिनी कौशिक की दूसरी काव्य संग्रह है। लेखन के प्रति बहुत ही प्रयत्नशील रहा करती है। साहित्य के सेवा में नई-नई गीत इस बार लिखे हैं। उन बच्चों के लिए जो बड़ी-बड़ी कक्षाओं में पढ़ते हैं। सबसे बड़ा कठिन होता है छंदबद्ध गीत लिखना। वर्तमान में दूसरे प्रकार के गीत लिखे जा सकते हैं लेकिन छंदबद्ध गीत और उन बच्चों के लिए जो बड़ी कक्षओं में पढ़ रहे हैं। मेरा संकेत है संग्रह की गीत वहां तक पहुंचे। विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय त्यौहार, देशभक्ति के गीत, पौराणिक गीत लिखे हैं जो पढ़ने योग्य है। इन गीतों को पढ़कर बच्चे सही रास्ते में चलना सीख सकते हैं और अपना मन बहला सकते हैं। सबसे बड़ी बात उन गीतों के माध्यम से स्कूलों, कालेज में मंच संचालन के रूप में भी कर सकते हैं। सभी गीत गेय है। सभी गीतों में ज्ञान भक्ति है, वो पढ़ती है, लिखती हैं और सुनाती भी है वर्तमान घटनाओं पर लिखते हैं।
जिला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने कहा कि-प्रेरक गीतों का संग्रह ’’शब्द गाते हैं ’’  कामिनी कौशिक की प्रकाशित कृति है। जिसमें राष्ट्रीयता , पर्यावरण , समरसता और मादकता की पहचान स्पष्ट दिखाई देती है । गीतों में कोमल भावनाएं , हृदय का पराग , अनुभव , अनुभूति संवेदनाएं , कल्पनाएं और सृजन का प्रवाह है । कामिनी कौशिक के गीत अनेक आयामों से गुजरता है और अपने समकालीन नए तेवर को तरंगायित करते हैं। गीतात्मक अभिव्यक्ति आज के गीत की प्रवृत्ति बन गई है । किन्तु कवयित्री श्रीमती कामिनी कौशिक के गीत संग्रह ’’शब्द गाते हैं’’ में विशिष्ट रचनात्मकता, अंतरावलोकन और अन्तरानुभूति के गायन परिलक्षित होते दिखाई देती है।
गोपाल शर्मा ने कहा कि शब्द गाते हैं कि रचनाएं श्रीमति कामिनी कौशिक के जीवन दस्तावेज हैं। जिन मूल्यों के लिए जीवन भर जूझते रहे उन्हीं को अपनी रचना का आधार बनाया।  उपन्यासकार एवं गजल गो श्री रंजीत भट्टाचार्य ने कहा कि  कामिनी कौशिक का काव्य संसार अनुभव के साथ विस्तार हुआ है। भाषा को रचने के लिए अपने साथ ढाल लिए है।   चन्द्रशेखर शर्मा ने कहा कि शिक्षकीय कार्य के दौरान विषयवस्तु का समावेश कर उसे काव्य रूप देने में अतुलनीय योगदान हैै। जिससे विद्यालयों को लाभ मिलेगा। केन्द्रीय विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.एस. ध्रुर्वे ने कहा कि-शब्द गाते हैं हमारे स्कूल प्रबंधन से जुड़े सेवियों के लिए एक अनुपम कृति है। विद्यार्थियों को विभिन्न उत्सवों के समय तत्संबंधित विषयवस्तु मिल पाना बहुत कठिन कार्य हैै। इस संग्रह से विद्यार्थियों को दुविधा नहीं होगी। शब्द गाते हैं पुस्तक समीक्षा गोष्ठी में तिलक लांगे, विनोद रणसिंह, नरेश श्रोती, आकाश गिरी गोस्वामी, प्रेमशंकर चौबे, मूरत सिंह ने विचार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दी। समिति के सचिव डॉ. भूपेन्द्र सोनी ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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