बस्तर में आदिवासियों का एक और बड़ा आंदोलन

कांकेर। जिले के छोटेबेठिया के बेचाघाट में मंगलवार शाम से नया बीएसएफ कैंप खोलने के विरोध में करीब दो हजार आदिवासियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है। अबूझमाड़ से जुड़े अंदरूनी इलाकों में नया बीएसएफ कैंप नहीं खोलने की मांग है। और कोटरी नदी पर प्रस्तावित एक पुल निर्माण का विरोध ये लोग कर रहे. जबकि उसी इलाके में आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोलने जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग भी शामिल है। 

आदिवासियों का कहना है कि सुरक्षा बलों का जंगलों में बढ़ता दबाव उनकी जिंदगी में अशांति फैला रहा है। इसके उलट सरकार इन आदिवासियों की सुरक्षा और बेहतरीन के लिए पुलिस कैंप स्थापित करने की बात दोहराती रही है। बस्तर में पुलिस के आला अफसरों का कहना है कि जो सरकार विरोधी आंदोलन बस्तर में चल रहे उसके पीछे माओवादियों का हाथ है। वहीं आदिवासियों का कहना है कि सुरक्षाबलों की प्रताड़ना के कारण वे कैंप का विरोध कर रहे हैं।

बाईट-रामजी राम


राज्यपाल ने कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शासन प्रशासन को हमने बोल रखा है कि आदिवासियों के साथ समन्वय बनाकर कोई भी काम शुरू करें तो ये आंदोलन की नौबत नहीं आएगी। लेकिन आदिवासी बहुत सीधेसादे होते हैं। उनको अंदर के षणयंत्रकारी मिसगाइड करते हैं और उनके कहने पर इस तरह के आंदोलन करते हैं। 


बाईट: अनुसुइया उइके, राज्यपाल छत्तीसगढ़

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