नगरीय निकायों के बाद अब ग्राम पंचायतों की बत्ती गुल, बिल भुगतान में सरकार की उदासीनता का खामियाजा जनता भोग रही
धमतरी। नगरीय निकायों के बाद छत्तीसगढ़ के अधिकांश ग्राम पंचायतें और उनकी गलियां अंधेरे में डूबी हुई है। अफसोस इसके बावजूद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यूपी में जाकर चुनावी भाषणों में उजाले का सब्जबाग दिखा रहे हैं। बिजली विभाग के भुगतान के पैसों में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार दीगर राज्यों में चुनाव प्रचार कर रही है। शहरी जनता के बाद ग्रामीणों की तकलीफों से व्याकुल विधायक रंजना डीपेंद्र साहू ने उक्त तल्ख टिप्पणी देते हुए कहा कि गत 3 सालों में बदले की राजनीति, औंधे मुंह गिरी भूपेश सरकार की उटपटांग योजनाएं, किसानों के मामले में बिजली, खाद और धान खरीदी में असफल सीएम भूपेश बघेल 5 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने की बात करके पहले ही अपनी किरकिरी करा चुके हैं। जनता भली-भांति जान चुकी है कि कांग्रेस सत्ता लोलुपता में ऐसी घोषणा करती है कि भोले-भाले छत्तीसगढ़ के गरीब-किसान उनके झांसे में आ जाते हैं लेकिन यूपी में ऐसा नहीं होगा छत्तीसगढ़ के अंधेरे में डूबे गांवों की आह कांग्रेस को यूपी में कहीं की नहीं छोड़ेगी।
धमतरी विधानसभा क्षेत्र की विधायक तथा जनता के दुख-दर्द से सीधे सरोकार रखने वाली रंजना डीपेंद्र साहू ने आगे कहा है कि अभी शेष दो सालों में छत्तीसगढ़ वासियों का भूपेश सरकार कांग्रेस से मोहभंग कराकर ही दम लेगी। नगरीय निकाय और ग्राम पंचायतों के बाद बहुत जल्द उन किसानों को बिजली कट की परेशानी झेलनी पड़ेगी जिनको सरकार मुफ्त मोटर पंप बिजली देने का दावा करते आ रही है। ऐन फसल के तैयार होने के समय बिजली विभाग, सरकार के द्वारा बिजली बिल के भुगतान में कोताही को ध्यान में रखकर किसानों के मोटर पंप को डिस्कनेक्ट करने के लिए पहुंच जाएगी और सरकार तो चाहती ही है कि किसानों का फसल बर्बाद हो। औने-पौने दाम पर पैदावार बेचने के लिए किसान मजबूर हो। भूपेश सरकार पहले तो गरीब-किसानों को खोखले दावे करके सत्ता में आती है फिर शराब बिक्री के लक्ष्य को 10 गुना कर लोगों को बर्बाद होने के लिए छोड़ देती है। शराब की वजह से घरेलू हिंसा होती है और सरकार यू टर्न लेते हुए यह दावा करती है कि छत्तीसगढ़ के लोग सामाजिक स्तर पर शराब छोड़ने का दावा करें तो सरकार भी बिक्री बंद कर देगी। सीएम भूपेश बघेल ने हास्यास्पद बयान देते हुए कहा है कि वह छत्तीसगढ़ को बिहार नहीं बनने देना चाहते। एक तरह से उनकी स्वीकारोक्ति है कि शराबबंदी को लेकर उनका फिलहाल कोई मूड नहीं है। फिर वे यह भी कहते पाए जाते हैं कि शराबबंदी होने से लोग जहरीली शराब के लिए मजबूर हो जाते हैं और उनकी मौत का ठिकरा सरकार अपने सिर पर नहीं लेना चाहती।
गरीब किसान और जनता को समझना होगा कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को आगामी चुनाव में ऐसा जवाब दें कि दोबारा खोखले वादों का पुलिंदा कांग्रेस के घोषणा पत्र में झूठे आश्वासनों को शामिल करने से पहले कांग्रेस को समझ में आ जाये कि जनता जाग चुकी है और अब 5 सालों का हिसाब किताब लेने-देने की बारी है।
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