वतन जायसवाल
रायपुर। छत्तीसगढ़िया कुलपति की मांग पर अब सियासी तलवार खींच चुकी है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच जुबानी जंग की शुरुआत हो चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल को इस मामलें में राजनीति न करने की सलाह दी गई है।
स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय विमानतल में पत्रकारों से चर्चा करते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़िया की मांग की जा रही है, और यहां प्रतिभा है तो इसे अंदेखा नही किया जाना चाहिए। हाल बेहाल में अभी जितनी भी नियुक्ति हुई वे तो छत्तीसगढ़ के नही थे।
एक सवाल के ज़वाब में मुख्यमंत्री ने कहा हाँ, ठीक है। हम अपनी मांग रख सकते हैं। वो हमारे राज्यपाल है, हमारे संवैधानिक प्रमुख हैं। वैसे भी वो किसी से मिलने चली जाती है तो इस बात से उनको तकलीफ क्यों हो रही है। किसको क्या करना है, वो अलग बात है। वो राजनीती करना बंद कर दें। वो जो राजनीति कर रही हैं वो छत्तीसगढ़ के लिए दुर्भाग्यजनक है।
बता दें कि 18 फरवरी को राज्यपाल अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़िया कुलपति के मूद्दे पर कहा था कि प्रदेश के 14 विश्वविद्यालय में से 9 विश्वविद्यालय में स्थानीय कुलपति हैं। विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति का संवैधानिक अधिकार राज्यपाल के पास होता है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर विश्वविद्यालय में एक समाज के लोगों का प्रतिनिधित्व है, जबकि प्रदेश में 32 फीसदी एसटी और 14 फीसदी एससी लोग हैं। हमारा काम मेरिट के आधार पर चयन करना है।
राज्यपाल के बयान के बाद सरकार के प्रवक्ता और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि आंदोलन कर रहे छात्रों और शिक्षकों की मांग जायज है। सरकार उनकी मांग के साथ है। छत्तीसगढ़ के योग्य उम्मीदवारों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। चौबे ने कहा कि मैं राज्यपाल की नाराजगी पर कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन स्थानीय कुलपति की मांग जायज है।
वहीं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कुलपति की नियुक्ति विवाद में कहा था कि जहां दूसरे दल की सरकार है, वहां राज्यपाल के कार्यों से टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। राज्यपाल का पद सम्मानित है। राज्यपाल को अपनी सीमा को देखकर, पहचान कर काम करना चाहिए। राज्यपाल अगर समानांतर व्यवस्था खड़ी करने की कोशिश करेंगी, तो विवाद की स्थिति पैदा होगी। सिंहदेव ने सवाल किया कि क्या छत्तीसगढ़ में योग्य व्यक्ति नहीं है, जिन्हें कुलपति बनाया जा सके।
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