4.37 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा यूनिट
भूपेंद्र साहू
धमतरी। लंबे इंतजार के बाद जिले में ट्रामा सेंटर को आखिरकार मंजूरी मिल गई है। जिला अस्पताल में लगभग 4:37 करोड़ की लागत से यह यूनिट तैयार होगा। जिसमें स्पेशलिस्ट के साथ स्टाफ मौजूद रहेंगे। इस यूनिट के बन जाने से सड़क हादसों में जो मौतें होती है उसमें कमी आएगी।
नेशनल हाईवे में स्थित धमतरी में ट्रामा यूनिट की मांग बरसों से हो रही थी। इस मामले को स्थानीय जनप्रतिनिधियों, मीडिया द्वारा लगातार उठाया जा रहा था।पूर्व शासन काल में भी इसकी पुरजोर मांग हुई थी। वर्तमान सरकार के प्रतिनिधियों को भी इस बाबत जानकारी दी गई थी। आखिरकार अब मंजूरी मिल गई है। धमतरी जिला अस्पताल में चार करोड़ 37 लाख की लागत से ट्रामा सेंटर का निर्माण होगा। धमतरी जिला अस्पताल में अतिरिक्त जगह नहीं है इस वजह से न्यू वार्ड को मॉडिफाई कर वहां पर ट्रामा यूनिट तैयार किया जाएगा। ट्रामा सेंटर के तैयार होने से न सिर्फ धमतरी बल्कि आसपास के जिलों से जो दुर्घटनाग्रस्त मरीज पहुँचते हैं उन्हें काफी राहत मिलेगी। वर्तमान में जो हादसे में गंभीर होते हैं उन्हें धमतरी से रिफर कर दिया जाता है।जिससे परिजनों को परेशानी होती है। अब इस यूनिट से तैयार हो जाने से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। धमतरी जिला अस्पताल में धमतरी के अलावा कांकेर, दुर्ग, बालोद, गरियाबंद जिलों से भी मरीज पहुंचते हैं।
सीजीएमएससी कराएगा निर्माण
सिविल सर्जन डॉ यूएल कौशिक ने बताया कि सीजीएमएससी द्वारा ट्रामा यूनिट का निर्माण किया जाएगा जिसमें चार करोड़ 37 लाख की लागत बताया गया है। इसमें सभी उपकरण और सिविल वर्क शामिल है। ट्रामा यूनिट के अंतर्गत हड्डी रोग विशेषज्ञ ,सर्जन और निश्चेतना विशेषज्ञ के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ तैनात रहेगा। इसमें सिटी स्कैन यूनिट भी लगाए जाएगा। मॉड्यूलर ओटी भी तैयार होगा। यह लेवल 3 ट्रामा यूनिट होगा जो जिला स्तर में तैयार किया जाता है।
न्यू वार्ड में बनेगा ट्रामा सेंटर
डॉ राकेश थापा ने बताया कि लगभग 3500 स्क्वायर फीट एरिया में इसे तैयार किया जाएगा। वर्तमान में जो न्यू वार्ड है उस क्षेत्र को इसके लिए चिन्हित किया गया है। इस वार्ड को प्रथम तल में नया बनाकर शिफ्ट किया जाएगा।
गोल्डन मिनट होता है महत्वपूर्ण
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश सोनी ने बताया कि जो दुर्घटना ग्रस्त मरीज आते हैं उनके लिए एक बड़ी सुविधा होगी। ज्यादातर हेड इंजरी के जो मरीज आते हैं उनके लिए ट्रामा सेंटर वरदान साबित होगा।डॉ सोनी ने बताया कि ट्रामा यूनिट में गोल्डन मिनट बहुत महत्वपूर्ण होता है। कोई भी मरीज जब दुर्घटनाग्रस्त होकर पहुंचता है तो गोल्डन मिनट होता है उस दौरान यदि मरीज को त्वरित उपचार मिल जाए तो उसे बचाया जा सकता है। अभी ट्रामा यूनिट नहीं होने से बाहर रिफर किया जाता है और वह अस्पताल पहुंचते तक गोल्डन में खत्म हो जाता है, जिससे उसकी जान चली जाती है। गोल्डन मिनट में तुरंत मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता है।इसमें हड्डी रोग विशेषज्ञ, सर्जन और निश्चेतना विशेषज्ञ 24 घंटे ड्यूटी में रहते हैं। वह टेबल के आसपास अपने स्टाफ नर्स एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के साथ तैयार होकर तुरंत उपचार शुरू कर देते हैं।
जिले में रोजाना पहुंचते हैं औसतन 3-4 दुर्घटनाग्रस्त मरीज
स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जिला अस्पताल में रोजाना 3-4 में मरीज सड़क हादसे का शिकार होकर पहुंचते हैं।गंभीर नहीं होने पर इलाज कर उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। गंभीर होने की स्थिति में उन्हें निजी अस्पताल या रायपुर मेडिकल कॉलेज में रिफर किया जाता है।
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