केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 2023 के बजट में सिकल सेल एनीमिया मुक्त देश के लिए मिशन स्थापित करने की घोषणा की
इंदौर। किसी भी देश के विकास में वहां की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था एक महत्वपूर्ण योगदान देती है। ऐसे में जब कोई ऐसी बीमारी जो देश की आने वाली पीढ़ी को प्रभावित करती है तो उसके बारे में गहन चिंतन जरूरी है। उन्हीं में से एक बीमारी है सिकल सेल एनीमिया। इसके लिए केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य और इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी 20 सालों से अधिक समय से इस बीमारी का होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से इलाज का बीड़ा उठाए हुए हैं। जनवरी में इंदौर में हुए तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से डॉ. एके द्विवेदी ने मुलाकात कर उन्हें सिकल सेल एनीमिया की रोकथाम और इसके इलाज के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए निवेदन किया था। इसी कड़ी में बुधवार को संसद में जारी हुए 2023 के बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2047 तक सिकल सेल एनीमिया मुक्त देश का लक्ष्य रखते हुए इसके लिए मिशन स्थापित करने की घोषणा की है। साथ ही कहा कि अब सरकार इस बीमारी (एनीमिया) को खत्म करने को लेकर काफी अलर्ट मोड में हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति एवं वित्तमंत्री से मुलाकात के दौरान डॉ. द्विवेदी ने उन्हें बताया था कि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से वो सिकल सेल एनीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया, थैलेसीमिया एवं अन्य गंभीर बीमारियों का उपचार काफी लंबे समय से करते आ रहे हैं। इन मरीजों को होम्योपैथिक चिकित्सा से काफी हद तक राहत भी मिल रही है। इस दौरान डॉ. द्विवेदी ने एक पत्र भी राष्ट्रपति को सौंपा था। चर्चा के दौरान राष्ट्रपति ने डॉ. द्विवेदी द्वारा विस्तार से बताई गई होम्योपैथिक चिकित्सा और उसके माध्यम से सिकल सेल एनीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया आदि के किए जा रहे उपचार की बातों को बड़े ही धैर्यपूर्वक सुना था। डॉ. द्विवेदी ने राष्ट्रपति से निवेदन भी किया था कि हमारे देश में एक ऐसा होलिस्टिक हेल्थ सेंटर स्थापित किया जाना चाहिए जहां ऐसी बीमारियां जिनका इलाज एक चिकित्सा पद्धति से ना हो सकता है उनके लिए क्यों ना सभी चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक उस केंद्र पर मिल कर कार्य करें। इस पर माननीय राष्ट्रपति ने डॉ. द्विवेदी द्वारा बताए सुझाव और दिए गए पत्र को हेल्थ डिपार्टमेंट को भेजने की बात कही थी।
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