धमतरी। मलेरिया से बचने के लिए लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से विश्व स्तर पर मलेरिया दिवस का आयोजन किया गया ।’शून्य मलेरिया, लक्ष्य तक पहुंचना’ थीम पर संगोष्ठी, नारा लेखन, भाषण प्रतियोगिता सहित जागरूकता अभियान के लिए रैली आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.के.मण्डल ने बताया कि यह बीमारी मादा एनाफिलिस मच्छर के काटने से होती है। इसके काटने से प्लासमोडियम नामक पैरासाइट खून में पहुंचकर शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है। यह मच्छर ज्यादातर नम और पानी वाली जगहों पर पाया जाता है। इसलिए मच्छर से बचाव के लिए घर के आसपास साफ-सफाई और पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।मलेरिया के लक्षण की जानकारी देते हुए डॉ.फूलमाली ने बताया कि इससे सिर में तेज दर्द, उल्टी, जी मितलाना, ठंड के साथ कंपकंपी, कमजोरी और थकान महसूस होना, शरीर में खून की कमी, मांसपेशियों में दर्द बुखार उतरते समय पसीना आता है। उपचार व्यवस्था एवं अभियान के बारे में बताया गया कि मलेरिया संक्रमित व्यक्ति का समय पर इलाज शुरू होने पर जान का खतरा कम हो जाता है। शासकीय अस्पताल, प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मलेरिया का निःशुल्क उपचार उपलब्ध है।
मानसून एवं मानसून के बाद मच्छरों की तादाद अचानक बढ़ने लगती है। इससे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया आदि मच्छरजनित रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसकी रोकथाम के लिए जहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान चलाकर विभिन्न गतिविधियां की जा रहीं हैं, वहीं सभी विकासखण्डों में गोष्ठी के माध्यम से मलेरिया बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही लोगों को साफ-सफाई बनाए रखने, घरों के आसपास पानी इकट्ठा नहीं होने और पानी से भरे गड्ढों को भरने संबंधी समझाईश भी दी जा रही है। मच्छर ठहरे हुए पानी में अंडे देती है, इसलिए पानी के सभी बर्तन, टंकी आदि को पूरी तरह से ढंककर रखने, सप्ताह में एक बार कूलर, फूलदान, पशु-पक्षियों के बर्तन और हांडी को सूखाकर भरने कहा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग का निःशुल्क स्वास्थ्य परामर्श टोल फ्री नंबर 104 पर डायल कर स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी ली जा सकती है।
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